Gaziabad जनपद में तंबाकू सेवन से 48 प्रतिशत कैंसर मरीज दम तोड़ रहे
बीमारी का पता चलने पर 50 फीसदी मरीजों का इलाज हो पाता है.
गाजियाबाद: जनपद में कैंसर से पीड़ित 48 प्रतिशत मरीजों की तंबाकू सेवन से मौत हो रही है. जिले में हर साल पांच हजार मरीजों में कैंसर की पहचान की जा रही है. इनमें से 25 फीसदी मरीज मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं. कैंसर रोग विशेषज्ञों की मानें तो समय से बीमारी का पता चलने पर 50 फीसदी मरीजों का इलाज हो पाता है.
डॉक्टरों का दावा है कि यदि समय से इस बीमारी का पता चल जाए तो तीसरे स्टेज तक भी मरीज को बचाया जा सकता है. सबसे जरूरी है कि कैंसर को लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए . कैंसर सर्जन डॉ. ज्ञानेंद्र मित्तल का कहना है कि शरीर में होने वाली किसी भी गांठ या बदलाव को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. संदेह होने पर कैंसर स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए. यदि परिवार में किसी की कैंसर हिस्ट्री रही हो तो उन्हें इसके प्रति सजग रहना चाहिए. सबसे ज्यादा मौत मुंह के कैंसर से होती है.
नेहरूनगर स्थित यशोदा अस्पताल के सीनियर ओंकोलॉजिस्ट डॉ. ब्रहमजीत सिंह बताते हैं कि देश में ब्रेस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मामले हैं. दूसरे स्थान पर मुंह और गले का कैंसर है. भारत में 60 से 70 प्रतिशत कैंसर के मामलों का पता तीसरी और चौथी स्टेज में चलता है. कैंसर का देर से पता लगने की वजह से मरीज का सर्वाइवल रेट बेहद कम है.
समय से बीमारी का पता चलने पर स्वस्थ्य हुए
शास्त्रत्त्ीनगर निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति को गुटखा खाने के कारण मुंह में छाले हो गए. मुंह खुलना बंद हो गया. जांच में वह कैंसर निकला. सर्जरी से कैंसर वाले हिस्से को निकाल दिया गया. पांच महीने महीने के उपचार के बाद वह अब स्वस्थ है.
छह माह तक उपचार के बाद घातक बीमारी को मात दी
राजनगर एक्सटेंशन निवासी 45 वर्षीय महिला को बाईं तरफ ब्रेस्ट में गांठ महसूस हुई तो जांच करवाई. सर्जरी के बाद बाई तरफ की ब्रेस्ट को निकाल दिया गया. छह महीने के उपचार, कीमो थैरेपी के बाद अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं.
कैंसर के प्रकार
पुरुषों में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर फेफड़े, प्रॉस्टेटट, कोलोरेक्टल (पेट के कैंसर या बड़ी आंत्र के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है), अमाशय और यकृत कैंसर हैं तथा महिलाओं में स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, गर्भाशय ग्रीवा और थायरॉयड कैंसर कि ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.