लखनऊ: खराब जीवनशैली और असंतुलित डाइट प्लान कई गंभीर बीमारियों की वजह बन रहा है। इसी तरह की एक बीमारी है फैटी लिवर। पहले शरीर मोटापे का शिकार होता है और यही फैट लिवर पर असर डालता है। जिससे लिवर का आकार बदल जाता है और शरीर का यह महत्वपूर्ण अंग आकार बदलकर फैटी लिवर (fatty liver) का रूप धारण कर लेता है। यदि समय पर इसका इलाज न हो तो व्यक्ति का जीवन बचाना भी मुश्किल हो जाता है। मौजूद समय में बच्चों में भी फैटी लिवर की दिक्कत देखी जा रही है, भारत में करीब 35 प्रतिशत बच्चे फैटी लिवर की समस्या से ग्रसित हैं। यह कहना है चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन रिसर्च के हेपेटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अजय दुसेजा का । वह शनिवार को लखनऊ स्थित
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के हेपेटोलॉजी विभाग के दूसरे स्थापना दिवस के अवसर पर "यकृत रोगों पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य 2023" विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि खराब जीवनशैली और असंतुलित खानपान की वजह से नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के मरीजों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि फैटी लिवर को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में 50 के करीब शोध हुये हैं। जिनका अध्ययन किया गया। यह शोध करीब 25 हजार लोगों पर हुआ है। जिसके बाद यह जानकारी निकलकर सामने आई है कि इनमें से करीब 39 प्रतिशत वयस्क तथा 35 प्रतिशत बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है। वह फैटी लिवर की समस्या से ग्रसित हैं। यह शोध जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बच्चों में फैटी लिवर की दिक्कत बढ़ना समस्या का सबब बन सकता है। बच्चे इस बीमारी की जद में सिर्फ इसलिये आ रहे हैं क्योंकि वह मोबाइल,टीबी और पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक का इस्तेमाल अधिक कर रहे हैं।
फैटी लिवर जीवन के लिए खतरा: प्रो.अजय दुसेजा का कहना है कि बहुत से मामलों में फैटी लीवर की पहचान तब हो पाती है जब वह खतरनाक स्टेज पर पहुंच जाता है,जिसके बाद इलाज काफी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि फैटी लिवर आगे चलकर फिब्रोसिस (Fibrosis) और लिवर सेरॉसिस (Liver Cirrhosis) जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। इससे लिवर को बहुत नुकसान होता है,जीवन के लिए खतरा पैदा करता है। फैटी लिवर की समय पर पहचान जीवन बचा सकती है।
इस अवसर पर एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आर के धीमन ने कहा कि फैटी लिवर को लेकर जागरुकता, बचाव और इलाज के लिए लगातार काम किया जा रहा है। जिसके तहत प्राइमरी केयर प्रोवाइडर को प्रशिक्षण देने का काम किया जायेगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि "यकृत रोगों पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य 2023" विषय पर आयोजित सम्मेलन में भी फैटी लिवर की पहचान और उसके इलाज को लेकर जानकारियां विशेषज्ञों की ओर से करीब 300 चिकित्सकों के साथ साझा की गई हैं।