चुनाव के बीच 31 अवैध तमंचे जब्त, ऑपरेशन क्लीन के तहत की गई कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में 23 फरवरी को चौथे चरण के लिए मतदान होना है।
उत्तर प्रदेश में 23 फरवरी को चौथे चरण के लिए मतदान होना है, (Uttar Pradesh Assembly Election 2022). इस बीच बांदा (Banda) में चित्रकूट धाम मंडल मुख्यालय में आज एक बड़ा खुलासा हुआ जिसमें विधानसभा चुनाव 2022 के दृष्टिगत ऑपरेशन क्लीन (Operation Clean) के तहत बड़े पैमाने पर 31 तमंचे की एक बड़ी फैक्ट्री बरामद की है. जिसमें चार हार्डकोर क्रिमिनल गिरफ्तार किए गए पुलिस अधीक्षक बांदा ने इस बात की पुष्टि की है.
बांदा विधानसभा, तिंदवारी विधानसभा, बबेरू विधानसभा और नरैनी विधानसभा में चौथे चरण में 23 फरवरी को वोट डाले जाने हैं. इन अवैध असलहों की फैक्ट्री में भारी तादाद में आर्डर मिल रहे थे. पुलिस के अनुसार यह सच है कि इन अवैध तमंचा को चुनाव में प्रयोग करने हेतु चारों तरफ फैलाए जा रहे थे क्योंकि चुनाव आयोग सभी के लाइसेंसी शस्त्र जमा करा लेता है तो अवैध शास्त्र वोटरों को गांव में धमकाने के काम आता है. पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर ऑर्डर कर सीमा से लगे मध्य प्रदेश के पन्ना, छतरपुर, सतना और फतेहपुर इन सब जनपदों में सप्लाई जाती थी. पुलिस का कहना है कि अभी यह कह पाना मुश्किल है कि किस पार्टी के लिए यह प्रयोग हो रहा था यह जांच के दौरान ही कंफर्म हो पाएगा. किस पार्टी के लोग हैं, कौन सी राजनीतिक पार्टी इसका इस्तेमाल करना चाह रही थी, ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा.
चित्रकूट धाम मंडल रहा है राजनीति का अखाड़ा
बुंदेलखंड का चित्रकूट धाम मंडल, जनपद बांदा की चारों विधानसभाएं मध्य प्रदेश राज्य की सीमा से लगी हुई हैं. यह क्षेत्र ऐसा है जहां पर ना तो उद्योग धंधे हैं न ही अच्छी खेती है, सबसे ज्यादा क्षेत्र में गरीबी है लोग बेरोजगार हैं अशिक्षा का भी काफी अभाव है. इन सब के मद्देनजर रखते हुए सभी पार्टियों ने बुंदेलखंड के चित्रकूट धाम मंडल को हमेशा राजनीति का अखाड़ा बनाए रहा है.
शुरुआती दौर में चित्रकूट धाम मंडल में दस्यु सम्राट ददुआ 7:30 लाख का इनामी डकैत था. इसको शुरुआती दौर में कांग्रेस के एक मंत्री ने मध्य प्रदेश में शरण दी. पहले यह डकैत उनके लिए काम करता था, अपहरण, हत्या और लूट जैसे काम करता था. वह मंत्री अपनी कार में इस डकैत को केंद्र की सत्ता के गलियारों में और सफेदपोश की कोठियों में पनाह देते थे हालांकि यह सत्य है कि क्षेत्र में उद्योग ना होने की वजह से गरीबी पेट की भूख के चलते भी लोग डकैत बनते थे और कुछ लोग अत्याचार अत्यधिक हो जाने की वजह से भी बदला लेने के लिए डकैत बनते थे. कई डकैत अपने ऊपर हुए अत्याचार को लेकर बने.