कानपूर न्यूज़: शहर के सर्राफ संजीव अग्रवाल को डीआरआई (प्रवर्तन निदेशालय) ने 50 करोड़ की सोना तस्करी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. दो दिन पहले उसके कानपुर स्थित प्रतिष्ठान पर डीआरआई ने छापा मारा था. संजीव को टीम लखनऊ ले गई थी. पूछताछ और सोना व नगदी बरामदगी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से लखनऊ जेल भेज दिया गया.
कुछ दिन पहले कोलकाता, नेपाल बॉर्डर से तस्करी का सोना बरामद होने के बाद एजेंसी को संजीव के बारे में इनपुट मिले थे. टीमें उस पर निगाह रखे थीं. कुछ दिन पहले फतेहपुर में ट्रेन से एक सोना कैरियर पकड़ा गया तो संजीव के नेटवर्क का खुलासा हुआ. उसके बाद से उसके धंधे पर सख्त निगाह थी. नयागंज में 30 साल से सराफा कारोबार करने वाले संजीव अग्रवाल उर्फ संजू का बुलियन मार्केट में बड़ा नाम है. कहा जा रहा है कि तस्करी का सोना खरीदने-बेचने के धंधे से उसने अरबों की संपत्ति खड़ी कर दी. सर्राफा के अलावा फूड और रियल इस्टेट कारोबार में भी उसकी काली कमाई लगी है. लखनऊ की डीआरआई की टीम ने दोपहर नयागंज स्थित अन्नपूर्णा भवन में छापा मारकर संजीव अग्रवाल को उठाया था. 12 घंटे की छापेमारी में तस्करी के साक्ष्य और एक करोड़ का सोना भी बरामद हुआ था.
प्रतिष्ठान बंद, सारे कर्मचारी भी गायब
संजीव का ऑफिस दिनभर बंद रहा. शाम तक कर्मचारी प्रतिष्ठान आए पर कोई भी नहीं पहुंचा. बताया गया कि बाजार के आसपास रहने वाले कर्मचारियों ने अपना ठिकाना भी छोड़ दिया.
खास ने ही खोल दी जुबान, लपेटे में आया सर्राफ
डीआरआई ने फतेहपुर स्टेशन के पास से एक व्यक्ति को दबोचा था. वह संजीव का बेहद खास था. वह कोलकाता, नेपाल, बांग्लादेश से तस्करी करके सोना संजीव को पहुंचाता था. डीआरआई ने उसको करोड़ों के सोने के साथ दबोचा तो उसने संजीव का पूरा खेल खोल दिया. इसके बाद डीआरआई संजीव के प्रतिष्ठान पहुंच गई.
आयकर छापे में मिला था कनेक्शन
सोने के तस्करों का कानपुर से कनेक्शन महीने भर पहले ही मिल गया था. इसके बाद लगातार डीआरआई की टीम सराफा बाजार की पल-पल की जानकारी जुटा रही थी. आखिर में सोने की तस्करी के खेल की बड़ी मछली हाथ लग गई. हालांकि अभी सराफा बाजार के नौ से अधिक कारोबारी रडार पर हैं. सूत्रों के अनुसार, किसी भी समय इनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है.
22 जून को नयागंज, बिरहाना रोड, चौक में सराफा कारोबारियों के ठिकानों पर आयकर छापे मारे गए थे. 15 सौ करोड़ की हेराफेरी के साथ सोने की तस्करी के बड़े खेल के साक्ष्य भी मिले थे. नेपाल, कोलकाता, भूटान व बांग्लादेश से तस्करी का सोना कानपुर में खपाने के साक्ष्य मिलने पर डीआरआई ने जाल बिछाया. इसमें पहले कैरियर फिर उसकी निशानदेही पर कारोबारी को दबोच लिया गया.
परिवार बोला, कहां हैं संजीव हमें नहीं पता
डीआरआई के शिकंजे में आए सराफा कारोबारी संजीव अग्रवाल के परिवार वाले कुछ भी बताने इनकार कर रहे हैं. कॉल करने पर पहले रॉग नंबर बताने लगे. दोबारा बात की गई तो कहा कि संजीव अग्रवाल कहां है, उन्हें कोई जानकारी नहीं है. संजीव का नंबर मांगने पर कहा कि उनका कोई नंबर नहीं है.
बिस्किट और बीड के आकार में आता है सोना
सूत्रों के अनुसार, तस्करी का सोना बिस्किट और बीड के आकार में कानपुर लाया जाता है. इसके बाद इसे इसे गलाकर आइसक्रीम ब्रिक की तरह फर्रुखाबाद इटावा औरैया महोबा समेत कई जिलों में सप्लाई कर दिया जाता है. लगभग 50 करोड़ रुपये का सोना कानपुर में रोजाना कारोबारी खपा देते हैं.