गोरखपुर न्यूज़: गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित की गई परियोजना ‘नया गोरखपुर’ को देखते हुए महानगर से सटे तकरीबन 24 गांवों में भूमि की खरीद और बिक्री कम हो गई है. इसका असर रजिस्ट्री पर भी पड़ा है. छह माह पूर्व की स्थितियों को ध्यान दें तो रजिस्ट्री में तकरीबन 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है. भविष्य में इस क्षेत्र में प्रशासन की ओर से भूमि की खरीद-बिक्री पर रोक भी लगाई जा सकती है.
उत्तर प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप गोरखपुर के विकास को गति दी जा रही है. जीडीए द्वारा नया गोरखपुर के लिए तकरीबन 60 गांवों को चिन्हित किया गया है. प्रथम चरण में जीडीए की टीम ने शहर से उत्तर गोरखपुर-टिकरिया-महराजगंज रोड पर तकरीबन 12 गांवों एवं कुशीनगर रोड पर 12 गांवों में किसानों के साथ बैठक कर सहमति बनाने का प्रयास किया. हालांकि जीडीए की बैठक में किसानों की सहमति की जो उम्मीद थी वह शत-प्रतिशत पूरी नहीं हो पाई.
जीडीए द्वारा भूमि अधिग्रहण किए जाने की सूचना पर खरीदार भी इन क्षेत्रों में भूमि खरीदने से बच रहे हैं. हर कोई जीडीए के नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहा है. डीआईजी स्टांप विजय कुमार तिवारी का कहना है कि नए प्रोजेक्ट के कारण रजिस्ट्री कम हुई है. समीक्षा के दौरान यह बात स्पष्ट होगी कि कितनी गिरावट आई है.
इन गांवों में बैठक कर चुका है जीडीए
भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई से पहले सहमति के लिए जीडीए ने परमेश्वरपुर, विशुनपुर, देवीपुर, ठाकुरपुर नंबर एक व दो, बालापार, मानीराम, महराजगंज, रामपुर गोपालपुर, बैजनाथपुर, सोनबरसा, दौलतपुर, रहमतनगर, रुद्रापुर, वहरामपुर, भैसहां, आराजी बसडीला, जगदीशपुर, सिसवा उर्फ चनकापुर, आराजी मतौनी व माड़ापार, तकिया मेदिनीपुर, कोनी, कुसम्ही, मठिया बुजुर्ग में बैठक की है.