आगजनी मामले में भाजपा के पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित 16 हिंदूवादी नेता कोर्ट में हुए पेश
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मुजफ्फरनगर। अल नूर मीट प्लांट में तोड़फोड़ और आगजनी मामले में भाजपा के पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित 16 हिंदूवादी नेता शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट में पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित 16 हिंदूवादी नेताओं पर थाना सिखेड़ा क्षेत्र के जानसठ रोड स्थित अल नूर मीट प्लांट में तोड़फोड़ और आगजनी को लेकर 2006 में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी मुकदमे की तारीख पर आज पूर्व विधायक उमेश मलिक, भाजपा नेता संजय अग्रवाल, सचिन सिंघल आर एस एस के ओंकार सिंह, ललित मोहन शर्मा शरद कपूर सहित सभी 16 हिंदूवादी नेता पेश पेश हुए। पूर्व विधायक उमेश मलिक ने बताया कि मामला 2006 का है जहां अल नूर मीट प्लांट में गाय और बछड़े काटने को लेकर हिंदू संघर्ष समिति के नेतृत्व में उनके द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा था। उमेश मलिक ने बताया कि उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और रात में गाय भैंस बछड़े खोल कर ले जाया करते थे और 10:15 मिनट में उनको काट दिया जाता था। आंदोलन में मांगे थी कि वहां एक समिति का गठन हो और प्रदूषण को लेकर भी उसका लाइसेंस बने और उसमें कोई भी ऐसा पशु ना कटे जो कटने लायक नहीं है।
आंदोलन को हिंदू संघर्ष समिति के तत्वाधान में 2005 से शुरू किया गया था और उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस सरकार में प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के सीधे-सीधे इस प्लांट से संबंध थे। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। हम लगातार 6 से 7 महीने तक लगातार आंदोलन करते रहे मगर हमारी कुछ नहीं सुनी गई। उस समय हमें तीन चार बार जेल भी जाना पड़ा था। उसी समय जब हम कचहरी में आंदोलन कर रहे थे तभी तत्कालीन पुलिस प्रशासन ने हम पर अलनूर मीट प्लांट में आगजनी और तोड़फोड़ के आरोप लगाते हुए फर्जी मुकदमा दर्ज किया था। उस समय इस मामले में शिवसेना और वह खुद स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक के रूप में काम कर रहे थे। ओंकार सिंह आरएसएस के जिला संपर्क प्रमुख थे और संजय अग्रवाल हिंदू जागरण मंच मे थे। उमेश मलिक ने बताया कि हम 16 लोगों पर यह मुकदमा दर्ज किया गया था और आज हम सभी 16 लोग कोर्ट में पेश हुए हैं। इसमें अब 313 बन गई है और अगले एक हफ्ते में इस मामले में निर्णय आने की संभावना है।