105 साल के व्यक्ति ने 5 साल में खोदा 3 एकड़ का तालाब, खेतों के लिए ऐसे किया पानी

105 साल के व्यक्ति ने 5 साल में खोदा 3 एकड़ का तालाब

Update: 2022-07-31 04:19 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।,उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के 105 साल के बैजनाथ पर बिल्कुल सटीक बैठती है. हमीरपुर जिले के बैजनाथ राजपूत ने 105 साल की उम्र में खुद फावड़ा और तसला लेकर 3 एकड़ का तालाब खोद दिया. उनको बारिश का पानी इकट्ठा करने की अनोखी कोशिश करते देख हर कोई हैरान है. पिछले 40 साल से घर परिवार से दूर रह रहे 105 साल के बुजुर्ग ने प्रकति की गोद को अपना आशियाना बना रखा है. वह खेतों में कुटिया बनाकर रह रहे हैं.

बागवानी,खेती और जल संरक्षण के तमाम उपाय कर वह लोगों के सामने उदाहरण पेश कर रहे हैं. बैजनाथ राजपूत हमीरपुर जिले के सरीला तहसील के एक छोटे से गांव ब्रह्मानंद धाम बरहरा के रहने वाले हैं. उनका जन्म 1914 में हुया था. बैजनाथ ना तो योगी हैं और ना ही सन्यासी. होमगार्ड से रिटायर्ड होने के बाद अब वह सिर्फ एक किसान हैं. उम्र के आखिरी पड़ाव में भी बागवानी, खेती और जल संचायन के तमाम उपाय वह अपने दम पर अकेले कर रहे है.
5 सालों की कठिन मेहनत से खोदा तालाब
पिछले 40 सालों से वह अपने परिवार से दूर खेतों में झोपड़ी बनाकर रह रहे है. इस उम्र में भी उनके शरीर मे इतनी फुर्ती है कि नौजवान भी उनकी मेहनत के आगे फीका पड़ जाए. बागवानी के दौरान जब पेड़ों को पानी देने की समस्या हुई तो उन्होंने अकेले दम पर फावड़ा उठाकर 3 एकड़ का तालाब 5 सालों की कठिन मेहनत के बाद खोद डाला.अब बारिश के दौरान इसमें जल संचायन हो रहा है. बागवानी और खेती 105 साल के बैजनाथ का शौक है.
उन्होंने अपने दम पर ऐसा बाग तैयार किया है, जिसमें सैकड़ो फलदार पेडों के साथ नारियल,लौंग, इलाइची ,नीबू और कश्मीरी आंवला तक शामिल है. इस बाग से निकले फलों को वह बाजार में नहीं बेचते बल्कि गांव के बच्चों,बुजुर्गों को फ्री में बांट देते हैं. जिले का कुछ क्षेत्र ऐसा है, जहां पानी के समुचित साधन नहीं हैं. ,नकलूप और हैंडपंप भी यहां फेल हो जाते हैं. ऐसे हालात में अपने बाग को बचाने के लिए उन्होंने 3 एकड़ जमीन पर तालाब खोद डाला. उसी के पानी से अब वह पेड़ों को सींच रहे हैं.
सुबह 5 बजे उठकर करते हैं खेत का काम
बैजनाथ की माने तो उनके शरीर मे अभी भी इतनी ताकत है कि वह मन मुताबिक जिंदगी जीते है. खेती और बागवानी के काम उन्हें जिंदगी जीने की वजह देते हैं. वह सुबह 5 बजे से पहले उठकर तालाब खेत ओर बाग में काम करते हैं. इसी मेहनत के दम पर वह 105 साल की उम्र भी चैन से निरोगी होकर जी रहे हैं. बैजनाथ का कहना है कि उनकी सेहत का राज नियमित दिनचर्या और सादा खानपान है.सुबह उठकर वह देशी गाय का दूध पीते है. खाने में केवल दूध रोटी और दलिया और बाग के फल खाते हैं.


Tags:    

Similar News

-->