त्रिपुरा : रैलियां और सेमिनार आयोजित करते हुए सैकड़ों छात्रों ने रविवार को अगरतला से मार्च किया शुरू
रैलियां और सेमिनार आयोजित
'सेव कॉन्स्टिट्यूशन, सेव इंडिया, सेव एजुकेशन' के देशव्यापी अभियान के तहत रैलियां और सेमिनार आयोजित करते हुए सैकड़ों छात्रों ने रविवार को अगरतला से मार्च शुरू किया। इस मार्च में कई आदिवासी छात्र शामिल हुए क्योंकि इसका आह्वान स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ट्राइबल स्टूडेंट्स फेडरेशन (टीएसयू) ने संयुक्त रूप से किया था।
अगरतला में इकट्ठा हुए कई कार्यकर्ताओं ने कहा, "एसएफआई और टीएसयू तब तक नहीं रुकेगा जब तक संविधान, इसके मूल्यों और शिक्षा क्षेत्र को भाजपा और इसकी नई शिक्षा नीति (एनईपी) के चंगुल से नहीं बचाया लिया जाता है।"
तेज़ गर्मी के बावजूद सैकड़ों छात्र और युवा इकट्ठा हुए थे और झंडे लिए हुए बंगाली तथा कोकबोरोक भाषा में नारेबाजी कर रहे थे।
अगरतला में पैराडाइज चौमोहनी से शुरू हुआ ये जत्था उत्तर पूर्वी जत्थे का हिस्सा है।
पश्चिम बंगाल में दो जत्थे आएंगे जिनमें से एक त्रिपुरा से शुरू हुआ है और मणिपुर तथा असम को पार कर 19 अगस्त को कूचबिहार जिले में प्रवेश करेगा। एक और जत्था बिहार से शुरू होगा और बिहार, उड़ीसा और झारखंड के कुछ हिस्सों को पार करने के बाद यह 20 अगस्त को पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा।
ये सभी जत्था एनईपी को खारिज करने के साथ-साथ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की विभाजनकारी राजनीति को खारिज करने की मांग कर रहे हैं।
एनईपी को शिक्षा क्षेत्र में एक आपदा के जैसा बताते हुए एसएफआई ने 2 सितंबर को कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट में एक विशाल छात्र रैली का आह्वान किया है जो कि "पूर्वी भारत में अपनी तरह की सबसे बड़ी" रैली होगी।
त्रिपुरा जत्था जो अब तक मणिपुर में प्रवेश कर चुका होगा। इस जत्थे को रवाना पिछले शुक्रवार को एसएफआई के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने किया था।
अपने भाषण में माणिक सरकार ने सभी छात्रों और युवाओं को एकजुट करने और आने वाले महीनों में केंद्र और त्रिपुरा में भाजपा शासन के खिलाफ तीव्र आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि छात्रों को देश और राज्य के निरंकुश शासकों के खिलाफ लोगों को नींद से जगाने के लिए पथ प्रदर्शक बनना चाहिए।