त्रिपुरा में नए राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में 30 नवंबर को करेंगे आंदोलन
त्रिपुरा न्यूज़
अगरतला। त्रिपुरा (Tripura) में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन की सहयोगी दल इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) 30 नवंबर और एक दिसंबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर (Jantar mantar) पर विपक्षी नेता शाही वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मन (opposition leader royal descendant Pradyot Kishore Debbarman) के तिप्राहा स्वदेशी प्रगतिशील गठबंधन (टीआईपीआरए) के साथ संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत अलग टिपरालैंड (Tipperand) बनाने के लिये प्रदर्शन में शामिल होंगे।
प्रद्योत (Pradyot) ने पत्रकारों को बताया कि टीआईपीआरए और आईपीएफटी के करीब 1500 समर्थक प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। शनिवार शाम को अगरतला से समर्थकों को लाने के लिये 15 डिब्बों वाली एक ट्रेन बुक करायी गयी है, जो 29 नवंबर को दिल्ली पहुंचेगी। उनके सााथ टीआईपीआरए अध्यक्ष और वरिष्ठ आदिवासी नेता बिजय कुमार हरंगखवाल, आईपीएफटी महासचिव और बिप्लब देब सरकार में कैबिनेट मंत्री मेवार कुमार जमाटिया और कई अन्य नेता इस प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। यह पिछले महीने ही होना था लेकिन अनुमति नहीं मिल पाने के कारण कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। श्री प्रद्योत ने सभी आदिवासी दलों, मोर्चों और संगठनों से अलग राज्य आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि वह इस मांग पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने पहले भी श्री शाह से पहले इस संबंध में बात की थी। इसी बीच, आईपीएफटी नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा ने अभी तक त्रिपुरा के आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और भाषाई समस्याओं को हल करने की अपनी प्रतिबद्धता पर काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों ने ही आईपीएफटी को सत्ता में लाया था, लेकिन आज तक उनके लिये कोई ठोस काम नहीं हुआ है। भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद आईपीएफटी ने त्रिपुरा में एनआरसी की मांग का समर्थन किया है, साथ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को समाप्त करने की मांग करता है।
उन्होंने कहा, 'सभी आदिवासी आधारित दल ने त्रिपुरा के मूल लोगों की एकता और विकास के लिए समर्थन दिया है, न कि किसी विशेष समुदाय के लिये।' आईपीएफटी के अध्यक्ष और त्रिपुरा सरकार में राजस्व मंत्री एन सी देब बर्मा ने कहा कि आईपीएफटी ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ गठबंधन किया था, इस आश्वासन के साथ कि भाजपा उन्हें एडीसी चलाने के लिए छूट देगी, जिला परिषद का दर्जा बढ़ाया जायेगा और यहां के मूल निवासियों के लिये विकास का काम किया जायेगा।