त्रिपुरा के शाही वंशज ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन से पहले रखी ऐसी बड़ी शर्त
त्रिपुरा के शाही वंशज और तिप्राहा स्वदेशी प्रगतिशील गठबंधन (टीआईपीआरए) के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन ने साफ कर दिया है,
त्रिपुरा के शाही वंशज और तिप्राहा स्वदेशी प्रगतिशील गठबंधन (टीआईपीआरए) के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन ने साफ कर दिया है, कि ग्रेटर टिपरालैंड की मांग को स्वीकार किए बिना किसी भी राष्ट्रीय दल के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा। उन्होंने 2023 के चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन को सिरे से नकार दिया।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मीडिया रिपोर्ट सही नहीं हैं। हमने अभी तक किसी भी मुद्दे पर कांग्रेस के साथ कोई बातचीत नहीं की है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायकों और वरिष्ठ नेताओं सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से कांग्रेस, टीआईपीआरए और तृणमूल कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन की खबरें स्थानीय मीडिया में आ रही हैं। उनके अनुसार 2021 की शुरुआत में हुए जनजातीय स्वायत्त जिला परिषद के चुनावों में भारी जीत के बाद टीआईपीआरए का कद राज्य में बढ़ चुका है।
उन्होंने यह भी घोषणा की है कि पार्टी अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ेगी और कहा कि उसे एक प्रमुख पार्टी के साथ हाथ मिलाने से कोई गुरेज नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, जो भी पार्टी हमारे साथ गठबंधन करती है उसे लिखकर देना होगा कि वह ग्रेटर टिपरालैंड की हमारी मांग की स्वीकार करती है। वहीं इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के अध्यक्ष एन.सी. देबबर्मा और भाजपा के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के नेताओं सहित कई आदिवासी नेताओं ने मांग की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य की 33 प्रतिशत स्वदेशी आबादी को भ्रमित करता है। बता दें कि त्रिपुरा राज्य विधानसभा की 60 में से 20 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं। प्रद्योत किशोर को विश्वास है कि पार्टी फरवरी 2023 के चुनावों में आरक्षित सीटों में से अधिकांश को जीत सकती है और विवादास्पद मुद्दों पर भी एक प्रमुख राजनीतिक दल के साथ सौदेबाजी करने की क्षमता रखती है।