संसद के शीतकालीन सत्र में त्रिपुरा निकाय चुनाव में विपक्ष ने लगाया ये आरोप
संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष अब त्रिपुरा में हुए. निकाय चुनाव को लेकर आक्रामक है।
नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष अब त्रिपुरा में हुए. निकाय चुनाव को लेकर आक्रामक है। कांग्रेस, राजद, भाकपा, माकपा, राकांपा, द्रमुक और AAP ने संयुक्त रूप से राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्य निलंबन नोटिस दिया है और त्रिपुरा में नगर निगम चुनावों में कथित धांधली पर चर्चा की मांग की है। बता दें कि त्रिपुरा में नगर निकाय चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए 334 सीटों में से 329 सीटें जीती हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने तीन, टीआईपीआरए और तृणमूल कांग्रेस को 1-1 सीट ही मिल सकी है। वहीं, 12 सांसदों के निलंबन को लेकर भी विपक्ष हंगामा करता रहा। दोनों सदनों के अध्यक्षों का कहना है कि सांसद माफी मांग लेगें, तो निलंबन रद्द कर दिया जाएगा। लेकिन विपक्ष माफी नहीं मांगने पर अड़ा है।
राज्यसभा से ऐतिहासिक 'बांध सुरक्षा विधेयक (2019)' पारित
राज्यसभा ने 2 दिसंबर को ऐतिहासिक बांध सुरक्षा विधेयक (2019) को पारित कर दिया, जिससे देश में बांध सुरक्षा अधिनियम को लागू करने का रास्ता तैयार हो गया है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस विधेयक को एक दिसंबर 2021 को राज्यसभा में पेश किया था। बांध सुरक्षा विधेयक (2019) को लोकसभा में 2 अगस्त 2019 को पारित किया गया था। 'बांध सुरक्षा विधेयक' अगस्त, 2019 में लोकसभा से पारित हुआ था।
चीन और अमेरिका के बाद भारत में सबसे अधिक बांध
चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है, जहाँ बांधों की संख्या सबसे ज़्यादा है। हमारे देश में करीब 5,700 बड़े बांध हैं, जिनमें से करीब 80% बांध 25 वर्ष से भी ज़्यादा पुराने हैं। देश में करीब 227 ऐसे बांध हैं, जो 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं और आज भी कार्यरत हैं। वैसे तो भारत में बांध सुरक्षा का ट्रैक रिकॉर्ड विकसित देशों के समकक्ष रहा है, लेकिन कई ऐसे उदाहरण हैं, जब देश ने असमय बांध के फेल हो जाने और बांध के रखरखाव की दयनीय स्थिति जैसी समस्याओं का सामना किया है।
बांध सुरक्षा विधेयक देश के सभी बड़े बांधों की निगरानी, निरीक्षण, परिचालन और रखरखाव संबंधी पर्याप्त सुविधा प्रदान करेगा, ताकि बांध के फेल होने की स्थिति में होने वाली आपदा को रोका जा सके। बांधों के सुरक्षित परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों की दिशा में यह विधेयक केन्द्र और राज्य दोनों स्तरों पर एक संस्थागत तंत्र की व्यवस्था प्रदान करेगा।