मेजर विप्लव त्रिपाठी की हत्या का NIA करेगी खुलासा

आर्मी के कमांडिंग ऑफिसर रहे मेजर विप्लव त्रिपाठी की हत्या (Major Viplav Tripathi Murder Case) की जांच अब NIA करेगी।

Update: 2021-11-27 14:38 GMT

नई दिल्ली/इंफाल। आर्मी के कमांडिंग ऑफिसर रहे मेजर विप्लव त्रिपाठी की हत्या (Major Viplav Tripathi Murder Case) की जांच अब NIA करेगी। केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के द्वारा केंद्रीय गृहमंत्रालय (Union Home Ministry ) को एक खत लिखा गया है और एक एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है। सूत्रों के मुताबिक अगले सप्ताह तक एनआईए इस मामले में एक एफआईआर दर्ज कर सकती है। दरअसल ये मामला 44 असम राइफल्स के अधिकारी और उनके जवानों पर हमले से संबंधित है।

एनआईए (NIA) के सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्द ही छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के रहने वाले शहीद मेजर विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी और उनके आठ साल के बेटे आशीष समेत कुल शहीद पांच जवानों की हत्या मामले में उग्रवादियों की साजिश से जुड़े मसले की जांच के लिए एफआईआर दर्ज की जाएगी। एनआईए के एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक इस मामले में तफ़्तीश के लिए एफआईआर दर्ज करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को खत लिखा गया है और अनुमति मांगी गई है। सूत्रों के मुताबिक इस मसले पर गृहमंत्रालय से अनुमति मिलते ही एफआईआर दर्ज करके हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों और उनके संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कुछ दिनों पहले मणिपुर से सटे चूराचांदपुर जिला अंतर्गत सेना के जवानों पर एक हुए उग्रवादी हमले में अपने परिवार के साथ बटालियन हेडक्वार्टर लौट रहे कमांडिंग ऑफिसर मेजर विप्लव त्रिपाठी और उनके साथ चल रहे अन्य जवानों के काफिले पर एक साजिश के तहत घात लगाकर हमला किया गया था। काफिले को रोकने के लिए IED ब्लास्ट किया गया, जो एक साजिश के तहत की गई थी। कहा जा रहा है कि इस उग्रवादी हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट (PMNPF) ने ली थी।
उग्रवादी संगठनों की साजिश और हत्या करने के इरादों से संबंधित मसले की जांच की जाएगी और ये पड़ताल की जाएगी कि कौन-कौन से वो लोग हैं, जो उग्रवादियों की मदद कर रहे थे। जिसके आधार पर हमला करने आए उग्रवादियों के पास एकदम सटीक इनपुट्स था कि कितने बजे और किस वाहन में मेजर वहां से गुजरने वाले हैं? किस तरह से इस मामले की रेकी की गई? कहीं कोई सरकारी मुलाजिम या स्थानीय लोग इस मामले में खबरी तो नहीं थे?
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