अगरतला, (आईएएनएस)| माकपा नीत वामदलों और कांग्रेस ने 16 फरवरी को होने वाले त्रिपुरा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े अपने उम्मीदवारों को वापस ले लिया है। माकपा (सीपीआई-एम) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि वामपंथी दलों के 13 और कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए हैं। सीपीआई-एम के प्रभुत्व वाले वामपंथी दलों ने 25 जनवरी को 47 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की और 13 सीटों को अपने नए सहयोगी कांग्रेस के लिए छोड़ दिया था। कांग्रेस के नेता वामपंथी दलों द्वारा कम सीटों के बंटवारे से नाराज थे।
28 जनवरी को कांग्रेस ने 17 उम्मीदवारों की घोषणा की। नामांकन भरने के आखिरी दिन सोमवार को वाम दल और कांग्रेस दोनों ने 16 सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उम्मीदवार उतारे।
सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के सदस्य चौधरी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि दोनों पार्टियों द्वारा कोई साझा घोषणा या न्यूनतम साझा कार्यक्रम की घोषणा नहीं की जाएगी। वामपंथी नेता ने कहा, हमारा साझा एजेंडा संविधान की रक्षा करना और कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल करना है।
कैलाशहर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर भाजपा के जंगल राज को खत्म करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा कि अभी यह तय नहीं है कि दोनों पार्टियों की कोई संयुक्त रैली होगी या नहीं। रिपोर्ट के अनुसार, 1952 से कांग्रेस और माकपा के नेतृत्व वाले वामपंथी दल कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और एक-दूसरे पर कुशासन का आरोप लगाते रहे हैं।
1978 में माकपा के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा पहली बार त्रिपुरा में कांग्रेस को हराकर सत्ता में आया और 1988 तक सत्ता में रहा, इसके बाद कांग्रेस ने वाम दलों को हराकर 1993 तक सत्ता संभाली।
वहीं 1993 में वामपंथी दलों ने फिर से कांग्रेस को हराया और 2018 तक सत्ता में रहे। फिर भाजपा ने पहली बार वाम दलों को हराकर सत्ता हासिल की।
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