बांग्लादेश त्रिपुरा में सन 1971 के युद्ध की यादों से जुड़े स्थानों को करेगा संरक्षित

त्रिपुरा में 1971 के युद्ध की यादों से जुड़े स्थानों को करेगा संरक्षित

Update: 2021-12-18 11:18 GMT
अगरतला। अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त, मोहम्मद जोबायद हुसैन (Assistant High Commissioner to Bangladesh, Mohammad Jobaid Hossain) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका देश त्रिपुरा में उन स्थानों को संरक्षित करने का इच्छुक है जहां 1971 के मुक्ति संग्राम (1971 Liberation War) की यादें जुड़ी हैं।
पाकिस्तान से देश की आजादी की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए यहां बांग्लादेश सहायक उच्चायोग में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, हुसैन ने कहा, ''हमारा देश त्रिपुरा में उन स्थानों को संरक्षित करने का इच्छुक है जहां मुक्ति संग्राम की यादें हैं। मोटे तौर पर ऐसे 20 स्थानों की पहचान की गई है। कोविड-19 महामारी के कारण प्रक्रिया धीमी हो गई, लेकिन यह जल्द ही गति पकड़ लेगी।''
उन्होंने कहा कि दक्षिण त्रिपुरा के छोटाखोला में भारत-बांग्लादेश मैत्री उद्यान ऐसे सबसे बड़े स्थानों में से एक है, और अन्य प्रमुख स्थानों की जल्द ही पहचान की जाएगी।
सीमावर्ती गांव में 20 हेक्टेयर भूमि पर एक विशाल पार्क स्थापित किया गया है, जो कि मुक्ति वाहिनी का एक पूर्व अड्डा था, जिसका इस्तेमाल तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नोआखली, फेनी और कोमिला जिले के कुछ हिस्सों में पाकिस्तानी सेना पर हमले शुरू करने के लिए किया जाता था।
त्रिपुरा विधानसभा के अध्यक्ष रतन चक्रवर्ती ने बतौर मुख्य अतिथि अपने भाषण में कहा कि पारस्परिक रूप से लाभकारी मुद्दों पर सहयोग से दोनों देशों के संबंध वर्तमान में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं।
उन्होंने उस देश में स्थित पूर्वोत्तर राज्यों के विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बांग्लादेश सरकार की सराहना की।
अधिकारियों ने कहा कि बांग्लादेश सुरक्षा बलों ने त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विद्रोहियों द्वारा स्थापित शिविरों को नष्ट कर दिया है।
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