इन राज्यों में होता है बाढ़ का अधिक असर, वो नदियां जो हमेशा बाढ़ में तब्दील होती जाती है

इन नदियों में आता है बाढ़ का पानी

Update: 2022-05-20 09:59 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :भारत में बंगाल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, केरल, असम, बिहार, गुजरात, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पंजाब ऐसे राज्य हैं जिनमें बाढ़ का ज्यादा असर होता है। इस वर्ष तो सूखे के लिए जाना जाने वाला राजस्थान भी बाढ़ की चपेट में आ गया है। मानसून की होने वाली बहुत अधिक बरसात दक्षिण पश्चिम भारत की नदियां जैसे ब्रहमपुत्र, गंगा, यमुना आदि बाढ़ के साथ इन प्रदेशों के किनारे बसी बहुत बड़ी आबादी के लिए खतरे और विनाश का पर्याय बन जाते हैं। इन सभी बड़ी नदियों के आसपास या किनारों पर बसे शहर, गांव और कस्बे इसका सबसे ज्यादा शिकार बन जाते हैं।

इन नदियों में आता है बाढ़ का पानी : देश में रावी, यमुना-साहिबी, गंडक, सतलज, गंगा, घग्गर, कोसी तीस्ता, ब्रह्मपुत्र महानदी, महानंदा, दामोदर, गोदावरी, मयूराक्षी, साबरमती और इनकी सहायक नदियों में पानी किनारों को छोड़-छोड़कर बड़ी दूर तक पानी फैल जाता है। राज्य के राज्यवार बाढ़ प्रवृत क्षेत्रों को समझा जा सकता है। ज्यादातर राज्यों में बाढ़ प्रवृत्त इलाका भी इस प्रकार है।
विभिन्न राज्यों के बाढ़ प्रवृत क्षेत्रों का इलाका ज्यादा बढ़ता जा रहा है। उत्तरप्रदेश में ऐसे क्षेत्र की संख्या इस प्रकार है। उत्तर प्रदेश में 7.336 लाख हैक्टेयर, बिहार में 4.26 लाख हैक्टेयर, पंजाब में 3.7 लाख हैक्टेयर, राजस्थान में 3.26 लाख हैक्टेयर, असम 3.15 लाख हैक्टेयर, बंगाल 2.65 लाख हैक्टेयर, उड़ीसा का 1.4 लाख हैक्टेयर और आंध्र प्रदेश का 1.39 लाख हैक्टेयर, केरल का 0.87 लाख हैक्टेयर, तमिलनाडु का 0.45 लाख हैक्टेयर, त्रिपुरा 0.33 लाख हैक्टेयर, मध्यप्रदेश का 0.26 लाख हैक्टेयर का क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होता है।त्रिपुरा और मिजोरम के निचले इलाकों व गांवों में बारिश के कारण आने वाली बाढ़ से लगभग हर साल हजारों लोग प्रभावित होते हैं. ख्वाथलंगतुईपुई नदी और इसकी सहायक नदियों की वजह से कई लोगों का आशियाना छिन जाता है. राज्य के कई इलाकों का देश के बाकी हिस्से से रेल मार्ग से संपर्क टूट जाता है.
असम में बाढ़ की मुख्य वजह मानसून की बारिश के कारण नदियों में पानी का बढ़ जाना है. ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर अचानक बढ़ जाने से ऐसे हालात बनते हैं. धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ, नलबाड़ी, चिरांग, गोलाघाट, माजुली, जोरहाट, डिब्रूगढ़, नगांव, मोरीगांव, कोकराझार, बोंगाईगांव, बक्सा, सोनितपुर, दर्रांग और बारपेटा जिले इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है और कई गांव जलमग्न हो जाते हैं. गंगा और उसकी कई सहायक नदियों सहित सरयू, गोमती, घाघरा के किनारे बसे क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होते हैं.
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