तेलंगाना हाईकोर्ट ने विवेकानंद हत्या मामले के मुख्य आरोपी की जमानत याचिका खारिज की
हैदराबाद (आईएएनएस)| तेलंगाना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मुख्य आरोपी येरा गंगी रेड्डी की जमानत याचिका रद्द कर दी। साथ ही उन्हें 5 मई तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर आरोपी आत्मसमर्पण नहीं करता है तो सीबीआई उसे गिरफ्तार कर सकती है।
अदालत ने फैसला सुनाया कि चूंकि सीबीआई 30 जून को सुनवाई पूरी करने वाली है, गंगी रेड्डी को 1.50 लाख रुपये के निजी मुचलके पर 1 जुलाई को जमानत दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सनसनीखेज मामले की जांच पूरी करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ा दी थी।
सीबीआई ने इस आधार पर जमानत रद्द करने की मांग की कि गंगी रेड्डी मुख्य आरोपी है और मामले के प्रमुख गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं।
जांच एजेंसी के वकील ने तर्क दिया था कि गंगी रेड्डी को राजनीतिक समर्थन प्राप्त है और वह अपने कनेक्शन के जरिए गवाहों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
आंध्र प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी), जो तब हत्या के मामले की जांच कर रही थी, ने 28 मार्च 2019 को गंगी रेड्डी को गिरफ्तार किया।
गंगी रेड्डी को 27 जून, 2019 को पुलिवेंदुला की एक स्थानीय अदालत ने डिफॉल्ट जमानत दे दी थी, क्योंकि एसआईटी निर्दिष्ट अवधि में चार्जशीट दाखिल करने में विफल रही थी।
सीबीआई ने जांच अपने हाथ में लेने और चार्जशीट दाखिल करने के बाद उसकी जमानत रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने सीबीआई की याचिका खारिज कर दी थी। बाद में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
इसके बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में हत्या के मामले की सुनवाई आंध्र प्रदेश से हैदराबाद की सीबीआई अदालत में स्थानांतरित कर दी थी।
इसके परिणामस्वरूप, शीर्ष अदालत ने सीबीआई को गंगी रेड्डी की जमानत रद्द करने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
विवेकानंद रेड्डी, पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के भाई है जिनकी चुनाव से कुछ सप्ताह पहले 15 मार्च 2019 को कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी।
68 वर्षीय विवेकानंद रेड्डी अपने घर पर अकेले थे जब अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें मार डाला।
सीबीआई ने विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर 2020 में मामले की जांच अपने हाथ में ली, जिसने कुछ रिश्तेदारों पर संदेह जताया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई और जांच के बारे में सुनीता रेड्डी द्वारा उठाए गए संदेह को देखते हुए मामले को हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया था।
--आईएएनएस