अदालत ने बैंक धोखाधड़ी मामलों में 10 को कठोर कारावास की सजा सुनाई

Update: 2022-11-24 12:03 GMT

हैदराबाद कोर्ट रूम न्यूज़: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामलों के विशेष न्यायाधीश, हैदराबाद ने बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में 10 लोगों को पांच से सात साल के कठोर कारावास और चार से तीन साल के कठोर कारावास तथा जुर्माने की सजा सुनाई है। यहां बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक एक अन्य को जुर्माने के साथ एक साल के कारावास में भेजा गया। इसके अलावा इस मामले में छह फर्मों पर विशेष न्यायाधीश द्वारा जुर्माना लगाया गया है. बयान में बताया गया कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सिकंदराबाद शाखा के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक सरथ बाबू जेली और तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक सुहास कल्याण रामदासी को 1.1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ सात साल की कठोर कारावास, डोनिकेना श्रीधर, निजी व्यक्ति को एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ सात साल की सजा कठोर कारावास, डोनिकेना पूर्ण श्री, निजी व्यक्ति को एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ सात साल की कठोर कारावास, मारेला श्रीनिवास रेड्डी, निजी व्यक्ति को एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गयी है।

वहीं, मारेला लक्ष्मा रेड्डी, निजी व्यक्ति को 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ एक वर्ष की कठोर कारावास, वेम्पति श्रीनिवास, निजी व्यक्ति को 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन वर्ष की कठोर कारावास, वेट राजा रेड्डी, निजी व्यक्ति को तीन वर्ष की कठोर कारावास तथा 20,000 रुपये का जुर्माना, वड्डे नरसैय्या, निजी व्यक्ति को 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल की कठोर कारावास और बथुला सत्या सूरज रेड्डी, निजी व्यक्ति को 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनायी गयी है। न्यायाधीश ने मेसर्स मावेन लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ग्रेपेल फार्मा प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स कॉन्फेरो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड पर एक-एक लाख रुपये और मेसर्स हैदराबाद टैबलेट टूल्स, मेसर्स किरण इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स श्री वैष्णवी फार्मा केम पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 30 मार्च, 2013 को सरथ बाबू जेलीलैंड अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन लोगों पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सिकंदराबाद शाखा में काम करते हुए 2012 और 2013 की अवधि के दौरान पांच करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी की सीमा को मंजूरी देकर निजी कंपनियों के साथ साजिश रची थी। बाद में फर्जी और जाली दस्तावेजों का उपयोग कर धन का उपयोग अन्य उदेश्य के लिए किया, जिसके कारण बैंक को 4,57,86,355 (लगभग) रुपये का नुकसान हुआ।

बयान में बताया गया कि विवेचना के बाद आरोपी के खिलाफ 27 अगस्त 2014 को आरोप पत्र दायर की गई। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और अब सजा सुना दी।

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