13 साल से लगातार बिना छुट्टी लिये कर रही काम, तमिलनाडु की ये महिला टीचर है मिसाल

भारत में शिक्षा प्रणाली को लेकर समय समय पर सवाल उठते रहते हैं।

Update: 2022-06-21 18:12 GMT

भारत में शिक्षा प्रणाली को लेकर समय समय पर सवाल उठते रहते हैं। खासकर सरकारी शिक्षा प्रणाली में काफी खामियां पाई जाती है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की पढ़ाने की शैली को लेकर अक्सर वीडियो वायरल हो जाते हैं तो हास्यपद होने के साथ चिंताजनक होते हैं। कई मौकों पर सरकारी शिक्षकों को आलोचना का सामना करना पड़ता है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की छवि बिगड़ी हुई है। कहा जाता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक बच्चों को पढ़ाने और उनका भविष्य संवारने को लेकर गंभीर नहीं होते, वह सिर्फ सरकारी नौकरी का लाभ लेना चाहते हैं। यही वजह है कि अभिभावक अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन नहीं कराना चाहते। हालांकि भारत जैसे देश में शिक्षक भगवान की तरह पूजनीय माना जाता है। ऐसे में हर शिक्षक को गैर जिम्मेदार मानना गलत हो सकता है। ये बात साबित करती हैं तमिलनाडु की एक महिला शिक्षक। इस महिला शिक्षक की उपलब्धि और शिक्षा को लेकर गंभीरता हर किसी के लिए मिसाल बन गई है।

सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका एस सरासू


तमिलनाडु के आनंद सरकारी एडेड प्राइमरी स्कूल की एक शिक्षिका अपने काम से सरकारी शिक्षकों की छवि सुधारने में लगी हैं। इस महिला टीचर का नाम एस सरासु है। टीचर एस सरासु सुंदरीपलयम नाम के गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने बतौर शिक्षक अपने करियर की शुरुआत साल 2004 से की, जब वह आनंद गवर्मेंट एडेड स्कूल में पढ़ाने लगीं।

स्कूल में पढ़ाते हुए उन्हें लगभग 18 साल हो गए हैं। लेकिन अपने 18 साल के करियर में उन्होंने एक भी मेडिकल लीव नहीं ली। एक सरकारी शिक्षक को कई तरह की छुट्टियां मिलती हैं। मेडिकल लीव, कैजुअल लीव, अर्न्ड लीव आदि उन्हें मिलती है। लेकिन एस सरासु ने 13 सालों से आज तक सिक लीव, कैजुअल लीव और अर्न्ड लीव नहीं ली है। ये सभी छुट्टियां उनकी सालों से जैसी की तैसी ही हैं।

सालों से बिना छुट्टी के लगातार कर रही काम

बिना छुट्टी लिए सरकारी स्कूल की ये टीचर लगातार बच्चों को पढ़ाती आ रही हैं। छात्रों के भविष्य के प्रति उनकी गंभीरता और जिम्मेदारी को आप एस सरासु के इस काम से पता कर सकते हैं। बिना किसी छुट्टी के लगातार काम करना आसान नहीं होता। लेकिन वह अपने निजी कामों को स्कूल से पहले या स्कूल के बाद निपटा लेती हैं।
इतना ही नहीं टीचर सरासू सबसे पहले स्कूल भी पहुंच जाती हैं। कई बार तो वह स्कूल की छुट्टी होने के बाद सबसे आखिर में घर के लिए रवाना होती हैं। उनके छुट्टी न लेने, समय पर स्कूल पहुंचने से बच्चों पर भी असर पड़ा है। कई बच्चे टीचर सरासू को देखकर उनसे इतने प्रभावित हुए कि वह खुद भी बेमतलब की छुट्टियां लेने से बचते हैं। टीचर सरासू की क्लास में बच्चों की हमेशा फुल अटेंडेंस रहती है।

मिल चुके कई पुरस्कार

सरकारी स्कूलों और वहां के टीचरों की छवि सुधारने के इस प्रयास को लेकर टीचर एस सरासू को कई संस्थाओं ने सम्मानित भी किया। उन्हें अब तक लगभग 50 पुरस्कार भी मिल चुके हैं। वहीं तमिलनाडु सरकार ने एस सरासू को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का भी अवार्ड दिया है।


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