लावण्या आत्‍महत्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता और CBI को जारी किया नोटिस

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तंजावुर एक एक स्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग लड़की लावण्या (Lavanya) के खुदकुशी करने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई.

Update: 2022-02-14 07:22 GMT

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तंजावुर एक एक स्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग लड़की लावण्या (Lavanya) के खुदकुशी करने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान तमिलनाडु सरकार की मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता और सीबीआई को नोटिस जारी किया. मामले में चल रही सीबीआई जांच पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई गई है. इस मामले में तीन हफ्ते में जवाब मांगा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब इस मामले में तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी.

दरअसल, नाबालिग लड़की के जहर खाकर आत्महत्या करने के मामले में शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि आत्महत्या के असल कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जाए. साथ ही शीर्ष अदालत से मांग की गई कि इस मामले को ध्यान में रखते हुए वह केंद्र सरकार को तत्काल एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने का निर्देश दे. इसमें कहा गया कि धोखे से धर्म परिवर्तन कराना संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 25 का उल्लंघन है.
आत्महत्या के मामले को लेकर लोगों के बीच गुस्सा
यहां गौर करने वाली बात ये है कि लावण्या के आत्महत्या के मामले में मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने पहले ही सीबीआई जांच के आदेश दिए हुए हैं. वहीं, मामले में तमिलनाडु सरकार के ढीले रवैये को लेकर लोगों के बीच गुस्सा भी देखने को मिला था. नाराज छात्रों ने दिल्‍ली के तमिलनाडु भवन के बाहर जबरदस्‍त प्रदर्शन किया था. छात्रा के आत्महत्या के मामले ने राजनीतिक रूप भी धारण कर लिया है. परिजानों ने पहले ही कहा है कि उन्हें राज्य सरकार की पुलिस जांच पर भरोसा नहीं है.
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, लावण्या ने ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किए जाने पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली. छात्रा को डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन उसने 19 जनवरी को दम तोड़ दिया. लावण्या तंजावुर में सेंट माइकल्स गर्ल्स होम नामक एक बोर्डिंग हाउस पढ़ती थी. छात्रा की मौत के बाद एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें लावण्या ने कबूल किया कि उसे हर रोज डांटा जाता था. छात्रा ने आरोप लगाया कि ईसाई धर्म अपनाने के लिए उसे हर रोज मजबूर किया जा रहा था. इस वजह से उसने जहर खा लिया. लावण्या के पिता मुरुगनंदम ने बताया था कि 9 जनवरी को तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया.
हालांकि, जल्द ही छात्रा को इलाज के लिए तंजावुर मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर किया गया. यहां होश आने पर छात्रा ने बताया कि आखिर क्यों उसने आत्महत्या का प्रयास किया. इसके बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पुलिस को घटना के बारे में सूचित किया. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के बाद सामने आया कि होस्टल की वार्डन लावण्या को प्रताड़ित करती थी और छात्रा को धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जा रहा था. वहीं, शिकायत के आधार पर वार्डन की गिरफ्तारी हुई.
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