ईडी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचें सेंथिल बालाजी, मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती
नई दिल्ली (आईएएनएस)। तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने नौकरियों के लिए कथित नकदी घोटाले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया है जब मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेने के ईडी के अधिकार को बरकरार रखा था।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति सीवी कार्तिकेयन की पीठ ने फैसला सुनाया था कि केंद्रीय एजेंसी को द्रमुक नेता को गिरफ्तार करने का अधिकार है। पीठ ने फैसले में कहा था कि अगर एजेंसी गिरफ्तार कर सकती है तो हिरासत की मांग भी कर सकती है।
सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर सेंथिल बालाजी की ईडी द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती दी। हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए सेंथिल बालाजी को ईडी की न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया था।
4 जुलाई को दिए गए फैसले में न्यायमूर्ति जे. निशा बानू ने मंत्री की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया और उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया, जबकि न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने उनकी 'अवैध' हिरासत के सवाल पर असहमति जताई।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार में 2011 से 2016 तक परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर हुए नौकरी के बदले नकदी घोटाले के सिलसिले में सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था। बालाजी की पत्नी ने एजेंसी द्वारा अपने पति की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
15 जून को पारित एक अंतरिम निर्देश में हाईकोर्ट ने मंत्री को एक सरकारी अस्पताल से एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था, जहां वह ईडी अधिकारियों की हिरासत में थे।