एनजीटी ने एनएलसीआईएल से होने वाले प्रदूषण पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दक्षिणी पीठ ने नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) के पास के गांवों में प्रदूषण के खतरों की रिपोर्ट पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) को नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति पुष्पा सत्यनारायण और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. सत्य कोलारपति की पीठ ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी), नगर निगम प्रशासन और जल आपूर्ति को भी नोटिस जारी किया। कुड्डालोर के जिला कलेक्टर को भी नोटिस जारी किया गया है।
मामले की सुनवाई 28 अगस्त को तय की गई है।
पीठ ने एनएलसीआईएल और नेवेली और पारंगीपेट्टई में उनके थर्मल प्लांटों से निकलने वाले अपशिष्टों की गुणवत्ता पर पर्यावरण अध्ययन पर समाचार रिपोर्टों के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है।
पूवुलागिन नानबर्गल और मंथन अध्ययन केंद्र द्वारा किए गए अध्ययन में 20 से अधिक स्थानों के पीने के पानी में पारा, फ्लोराइड और सेलेनियम का उच्च स्तर पाया गया।
इससे यह भी पता चला कि थोलकप्पियर नगर, वडक्कुवेलूर के बोरवेल के पानी में पारा की मात्रा अनुमेय सीमा से 250 गुना अधिक पाई गई।
अध्ययन से यह भी पता चला कि गांव में कई लोगों को किडनी, सांस और त्वचा संबंधी बीमारियां थीं। अध्ययन में कहा गया है कि एनसीएलआईएल संयंत्र के पास मिट्टी के नमूनों में लोहा, एल्यूमीनियम, पारा और निकल जैसी भारी धातुओं की मौजूदगी का भी पता चला है।
हालांकि एनएलसीआईएल ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उसकी सभी थर्मल इकाइयां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), एमओईएफएफएंडसीसी और टीएनपीसीबी द्वारा निर्धारित पर्यावरण मानकों का अनुपालन कर रही हैं। एनएलसीआईएल के बयान के अनुसार, हाल ही में 30 जून को किए गए अपशिष्ट गुणवत्ता की जांच में सभी पैरामीटर सीमा के भीतर थे।