NEET PG Counselling 2021: नीट से राज्य की छूट पर केंद्र के साथ तमिलनाडु का हो सकते है आज सर्वदलीय बैठक
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को NEET PG Counselling 2021 को हरी झंडी दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को NEET PG Counselling 2021 को हरी झंडी दी है। ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण को भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंजूरी मिल गई है। वहीं कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्लूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण इस वर्ष प्रभावी रहेगा। इस बीच सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने के बाद नीट से तमिलनाडु को छूट देने के लिए केंद्र और राज्य के बीच टकराव होने की आशंका बढ़ गई है।
इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने आज यानी शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। डीएमके के नेतृत्व वाली सभी दलों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का भी समय मांगा गया है, हालांकि, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आरोप लगाया कि उन्होंने इससे इनकार कर दिया है।
क्या है सर्वदलीय बैठक का एजेंडा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर सर्वदलीय बैठक में राज्य को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) से छूट की मांग पर चर्चा की जाएगी और आगे क्या करना है इस पर रणनीति बनाई जाएगी। हालांकि स्टालिन ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले गुरुवार को ही की थी। उन्होंने गुरुवार को तमिलनाडु विधानसभा सत्र के दौरान यह बैठक बुलाने घोषणा की।
उन्होंने कहा कि विधानसभा ने पिछले साल फरवरी में तमिलनाडु में NEET के खिलाफ एक प्रस्ताव और विधेयक पारित किया और उसे राज्यपाल आरएन रवि को भेजा। मुख्यमंत्री ने कहा, 'राज्यपाल ने अभी तक इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास अपनी सहमति के लिए नहीं भेजा है।'
तमिलनाडु क्यों चाहता है नीट से छूट
राज्य सरकार का तर्क है कि नीट परीक्षा की तैयारी के कारण बच्चों को महंगे कोचिंग में दाखिला लेना पड़ता है, जो राज्य के हर बच्चे के लिए संभव नहीं है। राज्य सरकार मानती है कि नीट से ग्रामीण और गरीब पृष्ठभूमि के उन छात्रों को नुकसान पहुंचाता है जो कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते और जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अलावा अन्य बोर्डों में पढ़ रहे हैं।
गुरुवार को विधानसभा सत्र के दौरान स्टालिन ने कहा कि प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग से केवल 'अमीर छात्रों' को ही फायदा होता है। नीट परीक्षाओं ने स्कूली शिक्षा को महंगा कर दिया है। हम मूकदर्शक नहीं रह सकते।
कुछ छात्रों ने कथित तौर पर इसी वजह से आत्महत्या कर ली
सरकार के इस कदम के पीछे की मुख्य वजह कुछ गरीब छात्रों की आत्महत्या के बाद छात्रों और अभिभावकों में उपजे रोष को माना जा रहा है। कथित तौर पर जब से राज्य में नीट की परीक्षा की शुरुआत हुई एक दर्जन से अधिक छात्र, जिनमें से कुछ 12वीं कक्षा के टॉपर थे, उन्होंने नीट में फेल होने के डर से आत्महत्या कर ली। मुख्यमंत्री स्टालिन ने इन घटनाओं के लिए पिछली एआईडीएमके सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने इस तथ्य को छुपाया कि राष्ट्रपति ने सर्वसम्मति से पारित 2017 एनईईटी विधेयक को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में जब से इस दक्षिणी राज्य में नीट को अनिवार्य किया है तब से तमिलनाडु के राजनीतिक दल और केंद्र नीट को लेकर आमने-सामने हैं। तमिलनाडु में पिछली एआईडीएमके सरकार ने 2017 में नीट से छूट की मांग वाला एक विधेयक पारित किया था, लेकिन राष्ट्रपति ने इसे खारिज कर दिया था।
मौजूदा डीएमके के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने भाजपा को छोड़कर सभी दलों की सहमति से बीते साल सितंबर में राज्य विधानसभा में अंडरग्रेजुएट मेडिकल डिग्री कोर्स बिल, 2021 पारित किया। विधेयक के मुताबिक कक्षा छात्रों को कक्षा 12 की परीक्षाओं में उनके प्रदर्शन के आधार पर ही मेडिकल में स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश मिल जाएगा। राज्य सरकार इसे 'सामाजिक न्याय' की दिशा में उठाया गया कदम मानती है। इस विधेयक को कानून की शक्ल देने के लिए विधेयक पर राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार ने क्या कहा था?
हालांकि तमिलनाडु से यह विधेयक पारित होने के बाद सितंबर में ही तत्कालीन उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा था कि नीट के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा कवर किया गया पाठ्यक्रम सिर्फ सीबीएसई ही नहीं बल्कि सभी राज्य शिक्षा बोर्डों के पैटर्न का पालन करता है। उन्होंने कहा था कि यदि कोई राज्य परीक्षा से छूट चाहता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। कोर्ट ने 2017 में तमिलनाडु को देश भर में चल रही नीट की प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा था। नीट में प्रदर्शन के आधार पर ही छात्रों को स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिया जाता है।
राज्यपाल के पास विचाराधीन है विधेयक
पिछले साल 28 दिसंबर को द्रमुक के नेतृत्व में सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर में पारित विधेयक पर विचार करने में देरी पर राष्ट्रपति कोविंद के कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा था। राष्ट्रपति कार्यालय ने उन्हें बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को ज्ञापन भेज दिया गया है। डीएमके सांसदों ने जब राष्ट्रपति कार्यालय को ज्ञापन दिया उसके बाद तमिलनाडु के राज्यपाल के कार्यालय से एक आरटीआई से पता चला कि विधेयक जो पहले राज्यपाल को भेजा गया था, अभी भी विचाराधीन है। इस पर डीएमके के संसदीय नेता टीआर बालू ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा है कि राष्ट्रपति को विधेयक नहीं भेजने के लिए राज्यपाल को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
केंद्र से टकराव बढ़ेगा
कानून विशेषज्ञ, सुप्रीम कोर्ट के वकील और 'अनमास्किंग वीआईपी' पुस्तक के लेखक विराग गुप्ता मानते हैं कि तमिलनाडु सरकार ने जो विधेयक पारित किया है उसके अनुसार मेडिकल में दाखिले के लिए नीट की अनिवार्यता खत्म हो गई है और कक्षा 12वीं के रिजल्ट पर ही दाखिले दिए जाएंगे। हालांकि अभी तक इसे राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं दी है, लेकिन निश्चित तौर पर इस मुद्दे को लेकर संघ-राज्य संबंधों के बीच विवाद और टकराव आगे बढ़ेगा। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के फैसले से महज तात्कालिक मुद्दों पर विराम लगा है लेकिन तमिलनाडु का मसला ऐसा है जिस पर बहस तेज होगी।