मद्रास SC ने आज डीएमके के 2 मंत्री और 16 अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को किया रद्द
मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने शनिवार को डीएमके सरकार के दो मंत्रियों टीएम अंबारसन और मा सुब्रमण्यम और 16 अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- तमिलनाडु : मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने शनिवार को डीएमके सरकार के दो मंत्रियों टीएम अंबारसन और मा सुब्रमण्यम और 16 अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है. इस मामले की सुनवाई चेन्नई की विशेष विधायक/सांसद अदालत में चल रही थी. न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने 27 अक्टूबर को 18 लोगों की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को रद्द कर दिया.
गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार में अंबारसन ग्रामीण उद्योग मंत्री हैं जबकि सुब्रमण्यम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का प्रभार संभाल रहे हैं. याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप था कि वे अप्रैल 2005 में नगर निकाय के लिए हुए उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा में शामिल थे. नगर निकाय के 136वें वार्ड के तत्कालीन पार्षद ए संतोष की तरफ से दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने उसकी कार में आग लगा दी थी.
अब 18 जुलाई को मनाया जाएगा राज्य का स्थापना दिवस-
मामले को रद्द करने की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति निर्मल कुमार ने रेखांकित किया कि क्षतिग्रस्त कार में पेट्रोल और गंध दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं था. उधर शनिवार को ही तमिलनाडु की पिछली एआईएडीएमके सरकार के फैसले को पलटते हुए राज्य में सत्तारूढ़ डीएमके ने कहा कि राज्य का स्थापना दिवस अब एक नवबंर के बजाय 18 जुलाई को मनाया जाएगा.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की इस घोषणा की एआईएडीएमके ने आलोचना की है और इसे 'राजनीतिक प्रतिशोध' करार दिया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने 2019 में घोषणा की थी कि समाज के विभिन्न तबकों से आग्रह मिलने के बाद तमिलनाडु दिवस एक नवंबर को मनाया जाएगा. शनिवार को मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि एक नवंबर, 1956 को देश में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया था जिसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के कुछ हिस्सों को तत्कालीन मद्रास राज्य से 'निकाल' अलग कर दिया गया था.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 2019 से एक नवंबर को तमिलनाडु दिवस के रूप में घोषित किया था. उन्होंने एक बयान में बताया कि हालांकि, राजनीतिक दलों, तमिल विद्वानों, कार्यकर्ताओं और संगठनों समेत अन्य इस बात पर जोर दे रहे थे कि एक नवंबर सिर्फ 'सीमा संघर्ष' का प्रतीक है और इस दिवस को तमिलनाडु दिवस के रूप में मनाना उचित नहीं है.