तमिलनाडु विधानसभा में डीएमके सदस्यों ने जयललिता पर बर्बर हमला किया था: ईपीएस
मफुराई (आईएएनएस)। अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने रविवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता को 24 मार्च 1989 को राज्य विधानसभा में क्रूर हमले का सामना करना पड़ा था।
गौरतलब है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा था कि संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बयान कि राज्य विधानसभा में द्रमुक के लोगों ने जयललिता पर हमला किया था, एक 'नौटंकी' है।
स्टालिन के बयान पर पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ईपीएस ने 24 मार्च 1989 को तमिलनाडु विधानसभा के लिए 'काला दिन' बताया और कहा कि एक विधायक के रूप में वह द्रमुक सदस्यों द्वारा जयललिता पर किए गए बर्बर हमले के गवाह थे।
ईपीएस ने कहा कि तत्कालीन अन्नाद्रमुक विधायक एस. तिरुनावक्करसु (अब कांग्रेस में) और के.के.एस.आर. रामचंद्रन (वर्तमान में द्रमुक सरकार में मंत्री) ने द्रमुक विधायकों द्वारा दिवंगत मुख्यमंत्री पर हमले को रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि एक द्रमुक नेता, जो वर्तमान में स्टालिन सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं, ने जयललिता की साड़ी भी खींची थी।
ईपीएस ने कहा कि जयललिता ने तब कसम खाई थी कि वह मुख्यमंत्री के रूप में ही विधानसभा में लौटेंगी और 1991 में तमिलनाडु के लोगों ने उन्हें भारी बहुमत के साथ सीएम के रूप में विधानसभा में लौटने में मदद की।
वरिष्ठ अन्नाद्रमुक नेता ने कहा कि उन्हें राज्य विधानसभा में द्रमुक सदस्यों द्वारा एक महिला के खिलाफ क्रूर कृत्य अभी भी अच्छी तरह याद है। स्टालिन ने यह कहकर इस घटना पर गलत बयान दिया है कि यह एक 'नौटंकी' है।
ईपीएस ने यह भी कहा कि मीडिया ने उस समय इस घटना की बड़े पैमाने पर रिपोर्ट की थी।
उन्होंने कहा, तमिलनाडु के लोग अगले साल के लोकसभा चुनाव में द्रमुक को करारा जवाब देंगे, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा परिसर के भीतर एक महिला नेता पर हुए बर्बर कृत्य के लिए किसी भी द्रमुक विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसने द्रमुक की कार्यशैली को उजागर किया।