श्रीलंका से रामेश्वर पहुंचे 4 और शरणार्थी, अब तक 133 लोग ले चुके हैं शरण
133 लोग ले चुके हैं शरण
चेन्नई: श्रीलंका इन दिनों अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और वहां के लोगों को भोजन और बुनियादी जरूरतों की चीज़ें भी नहीं मिल पा रही हैं। श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के कारण आज सुबह लगभग 4 बजे श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी बनकर तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे हैं। मार्च 2022 से अब तक 133 श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी बनकर धनुषकोड़ी आ चुके हैं।
श्रीलंका से रामेश्वर आए लोगों में जयमालिनी (50), उनके दो बेटे पतुरजन (26), हम्सिगन (22) और बेटी पातुसिका (19) हैं। ये श्रीलंका के त्रिंकोमाली के रहने वाले हैं। इन्होंने नाव से मन्नार, श्रीलंका से सफर किया और रामेश्वरम पहुंचे। रामेश्वरम आए चार श्रीलंकाई तमिल एक ऑटो में बैठकर मंडपम मरीन थाने गए। मंडपम मरीन पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला कि ये चारों श्रीलंका में युद्ध के वक़्त 2006 में शरणार्थी के तौर पर तमिलनाडु आए थे। उन्होंने कहा कि वे 2006 से मंडपम शिविर में रहे और 2019 में श्रीलंका वापस लौट गए। केंद्रीय और राज्य के खुफिया अधिकारियों द्वारा पूछताछ के बाद उन्हें मंडपम रिफ्यूजी कैंप पहुंचा दिया गया है। इन चारों को मिलाकर श्रीलंका से तमिलनाडु आए शरणार्थियों की तादाद अब बढ़कर 133 हो गई है।
आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में 60 लाख से ज्यादा लोगों के सामने खाने का संकट उत्पन्न हो गया है। दवा, रसोई गैस, ईंधन और टॉयलेट पेपर जैसी जरूरी वस्तुओं की भारी किल्लत हो गई है, जिससे श्रीलंकाई लोगों को ईंधन और रसोई गैस खरीदने के लिए दुकानों के बाहर घंटों कतारों में प्रतीक्षा करना पड़ रही है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि श्रीलंका में 63 लाख लोग यानी 28.3 फीसद आबादी के सामने खाने का संकट है।
क्यों बर्बाद हुआ श्रीलंका ?
बता दें कि श्रीलंका में पेट्रोल बचत के लिए सरकार ने स्कूल और कॉलेज पहले से बंद कर रखे हैं। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कह दिया गया है। इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ की वजह से हुई है। कर्ज की किस्तें भरते-भरते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार ख़त्म होने की कगार पर पहुंच गया। बताया जा रहा है कि आजादी के बाद श्रीलंका के सामने यह अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक संकट है। आर्थिक मार सह रहे श्रीलंका के लिए भारत इस साल विदेशी मदद का प्रमुख स्रोत रहा है।