सिक्किम: एसडीएफ पार्टी ने यूसीसी का किया विरोध, कहा- राज्य के 14 आदिवासी समुदायों पर पड़ सकता है असर
समान नागरिक संहिता
सिक्किम। सिक्किम की मुख्य विपक्षी पार्टी एसडीएफ ने राज्य के विशेष प्रावधान अनुच्छेद 371 एफ को ध्यान में रखते हुए समान नागरिक संहिता को ना कहा है।
एसडीएफ पार्टी ने समान नागरिक संहिता के संदर्भ में बोलते हुए कहा, "पूर्वोत्तर राज्यों के साथ सिक्किम को यूसीसी के दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए।"
एसडीएफ ने कहा, "22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी है और हम भी जल्द ही अपना सुझाव आयोग को सौंप देंगे।"
शिव कुमार शर्मा, प्रवक्ता एसडीएफ पार्टी ने कहा, "पूर्वोत्तर राज्यों के साथ सिक्किम में अलग-अलग जनजातियां और संस्कृतियां हैं और विशेष प्रावधान भी हैं, इसलिए सिक्किम भी उसी के अंतर्गत आता है, इसलिए इसे लागू करने से पहले सरकार या संबंधित निकाय को हमारे विशेष प्रावधानों और संस्कृतियों को ध्यान में रखना चाहिए।" इसे लागू करते हुए और बिल संसद में पेश होने के बाद हम आगे आवश्यक कदम उठाएंगे।''
उन्होंने यह भी कहा, "इससे सिक्किम की 14 छूटी हुई आदिवासी दर्जे की मांग भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि यूसीसी मुख्य रूप से पारिवारिक कानून में सुधार की बात करती है जिससे इसमें बाधा आ सकती है। चूंकि सिक्किम में भी कई जनजातियां हैं।"
आपको बता दें कि सिक्किम के नागरिक समाज संगठन ने पहले ही एक सूत्रीय प्रस्ताव के साथ सिक्किम में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को एक बड़ा ना कह दिया था, जिसमें कहा गया है कि 'अनुच्छेद 371 एफ और सिक्किम के विभिन्न समुदायों के प्रचलित प्रथागत कानूनों के प्रकाश में यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है सिक्किम राज्य के संदर्भ में समान नागरिक संहिता अभी न तो वांछनीय है और न ही आवश्यक है।
आज की संगोष्ठी में राजनीतिक दलों और तमाम बुद्धिजीवियों, वकीलों और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी थी और इसे 22वें विधि आयोग को भी सौंप दिया गया है।