ग्लोबल वार्मिंग में सिक्किम का है सबसे अधिक योगदान
धरती के तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी और जलवायु में परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है
धरती के तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी और जलवायु में परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। इसी बीच बीते 28 फरवरी को इंटरगवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज ने पर्यावरण से संबंधित रिपोर्ट जारी किया है। IPCCकी रिपोर्ट ने पूरे विश्व में खलबली मचा दिया है। वहीं भारत मे पश्चिम बंगाल और सिक्किम का वार्षिक औसत तापमान सबसे अधिक बढ़ रहा है। फलस्वरूप अत्यधिक वर्षा और चक्रवात का सामना करना पड़ रहा है।
IPCC की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2050 तक 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक धरती का तापमान बढ़ेगा। वहीं नेशनल ओसेनिक एंड एट्मोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनोएए) के नेशनल सेंटर फार एनवायरमेंटल इन्फार्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2022 का जनवरी महीना इतिहास में छठवीं बार सर्वाधिक गर्म रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग मे भारत की भी सहभागिता बड़ी है। जिससे सरकार के साथ पर्यावरणविदो का चिंतित होना लाज़मी हैं। ग्लोबल वार्मिंग इस वैश्विक घटना में भारत के 28 राज्य और 8 गणराजयों में से दो पश्चिम बंगाल और उसके पड़ोसी सिक्किम का योगदान सर्वाधिक है।
इंडियन मेट्रोलाजिकल डिपार्टमेंट (आईएमडी) सिक्किम शाखा प्रमुख गोपीनाथ राहा ने बताया कि वर्ष 1951 से 2010 के आंकड़ो का विश्लेषण करने पर यह पाया गया है कि छत्तीसगढ़, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, मेघालय, ओड़ीशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर भारत के अधिकांश राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों मे वार्षिक औसत तापमान बढ़ा है।
बल्कि पश्चिम बंगाल और सिक्किम मे सर्वाधिक 0.05 डिग्री सेल्सियस तापमान की बढ़ोत्तरी प्रति वर्ष वार्षिक औसत तापमान में दर्ज किया गया है। वहीं भारत के वार्षिक औसत तापमान बढ़ोत्तरी मे मणिपुर का 0.03 डिग्री सेल्सियस प्रति वर्ष योगदान रहा है।
वहीं गोवा, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडू का 0.02 डिग्री सेल्सियस प्रति वर्ष का योगदान रहा है। उन्होंने आगे कहा कि तापमान में वृद्धि या जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पहाड़ी और समुद्रतटीय इलाकों पर ही अधिक पड़ता है। अत्यधिक बारिश और चक्रवात की लगातार बदलती आवृति भी जलवायु और तापमान को प्रभावित करता है।