BENGALURU, (IANS) बेंगलुरु, (आईएएनएस): एक बड़े घटनाक्रम में, कर्नाटक पुलिस ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 'जबरन वसूली' के आरोपों के सिलसिले में शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।बेंगलुरु में तिलक नगर पुलिस ने विधायकों/सांसदों की विशेष अदालत के निर्देशानुसार एफआईआर दर्ज की है।इस मामले में वित्त मंत्री सीतारमण को मुख्य आरोपी बनाया गया है। ईडी के अधिकारियों को दूसरा आरोपी बनाया गया है, जबकि केंद्रीय भाजपा कार्यालय के पदाधिकारियों को तीसरा आरोपी बनाया गया है; कर्नाटक के पूर्व भाजपा सांसद नलिन कुमार कटील को चौथा आरोपी और राज्य भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र को पांचवां आरोपी बनाया गया है। राज्य भाजपा के पदाधिकारियों को छठा आरोपी बनाया गया है।पुलिस ने आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली), 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादे से कई लोगों द्वारा किए गए कृत्य) के तहत एफआईआर दर्ज की है।बेंगलुरु की विशेष अदालत ने चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली के अपराध में वित्त मंत्री सीतारमण और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।जनाधिकार संघर्ष परिषद के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर इस मामले में शिकायतकर्ता हैं।
विशेष न्यायालय ने शुक्रवार को इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। शिकायतकर्ता ने वित्त मंत्री सीतारामन और अन्य के खिलाफ चुनावी बांड के जरिए जबरन वसूली का आरोप लगाया है। न्यायालय ने बेंगलुरु के तिलक नगर थाने के क्षेत्राधिकार वाले एसएचओ को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। अगली सुनवाई की तारीख 10 अक्टूबर तय की गई है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि पहले और दूसरे ने तीसरे और चौथे आरोपी तथा कई अन्य जो संवैधानिक पदों पर हैं, राष्ट्रीय बहुराष्ट्रीय और टीएनसी कॉरपोरेट कंपनियों के सीईओ और एमडी के साथ मिलकर चुनावी बांड की आड़ में जबरन वसूली
की और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया। शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया है कि मुख्य आरोपी ने अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे आरोपी और कर्नाटक राज्य में चौथे आरोपी के लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपये की वसूली की। आदर्श अय्यर ने अपनी शिकायत में कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्य आरोपी ने विभिन्न कॉरपोरेट कंपनियों, उनके सीईओ, एमडी आदि के यहां छापे, जब्ती और गिरफ्तारी करने के लिए नामित अधिकारियों की सेवाएं लीं। छापों के डर से कई कॉरपोरेट और धनकुबेरों को कई करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिए मजबूर किया गया, जिसे आरोपियों ने भुना लिया।" याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड की आड़ में पूरा "जबरन वसूली का धंधा" विभिन्न स्तरों पर भाजपा के अधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा है।