अलवर घर के पास ही सालों से बंद पड़े खंडहर में डेढ महीने से लापता युवक का सड़ा गला शव फंदे पर लटका मिला। करीब एक महीने पुराने शव को देख लोगों रोंगटे खड़े हो गए, वहीं बदबू के मारे जान निकल गई। संभावना जताई जा रही है कि युवक की हत्या कर शव को फंदे पर लटकाया गया है। खंडहर के जिस कमरे में शव लटका मिला है, उसका गेट बाहर से बंद था। मामला अलवर के बहरोड़ का है। सूचना पर पहुंची नीमराना पुलिस ने गांव निवासी जोगेंद्र सिंह (22) पुत्र कृष्ण सिंह के शव को सोमवार शाम बहरोड़ अस्पताल की मोर्च्युरी में रखवाया गया।
बेटे को लटका देख बेसुध हुई मां
जानकारी के अनुसार जोगेंद्र सिंह (22) पिता और बड़े भाई के साथ ट्रक ड्राइवरी का काम करता था। जो डेढ़ महीने से लापता था। जोगेंद्र अपने पास मोबाइल नहीं रखता था। करीब दो पहले भी घर निकला था जो 16 महीने बाद वापस लौटा था। ऐसे में घरवालों को लग रहा था कि वापस आ जाएगा। मृतक का मकान घटना स्थल खंडहर के पास ही है। हादसे की सूचना के बाद मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। शव की हालात को देख पहचान पाना मुश्किल हो रहा था। जोगेंद्र की मां ने हाथ में काले रंग का डोरा, अंगुली में एक अंगूठी और हाथ में पहने हुए कड़े से बेटी की पहचान की। इसके बाद रोती हुई बेसुध हो गई। जिससे ग्रामीण महिलाओं ने संभाला।
संपत्ति के बंटवारे के बाद खंडहर में आए थे मालिक
ग्रामीणों से मिली जानकारी में सामने आया कि गांव में उधमीराम ज्योतिषी का पुराना खंडहर मकान है। उसके दो बेटे हैं, बड़ा किशोरीलाल और छोटा रमेश चंद। बड़ा बेटा किशोरीलाल हलवाई का काम करता था, जो करीब 30-40 साल पहले गांव को छोड़कर बहरोड़ चला गया। वह अपने परिवार सहित बढ़डी मोहल्ले में मकान बनाकर निवास करता है। रमेशचंद भी पुश्तैनी मकान को छोड़कर परिवार सहित उत्तराखंड चला गया। देखरेख के अभाव में मकान खंडहर होता चला गया। रमेश चंद करीब 4 साल पहले वापस अपने गांव आ गया। लेकिन पुश्तैनी मकान के बजाय एक प्रजापत परिवार के मकान में रहने लगा। ग्राम पंचायत सरपंच कृष्ण मीणा की मौजूदगी में दो दिन पहले ही 15 जुलाई को किशोरी लाल और रमेश चंद के बीच मकान का बंटवारा हुआ है।