स्कूल बैग में किताब का वजन 500 ग्राम से 3 किलो, बच्चों में बढ़ी चिड़चिड़ापन
स्कूल बैग में किताब का वजन
बांसवाड़ा। बांसवाड़ा स्कूलों में बच्चों के बैग के वजन को कम करने के लिए पहले भी राजस्थान बोर्ड सहित सीबीएसई ने सर्कुलरों के माध्यम से दिशा निर्देश दिए। लेकिन कहीं पालना होती नहीं दिखी। बच्चों की सेहत और उनकी मानसिकता पर ये वजन काफी बुरा असर डाल रहा है। स्कूली बैग के वजन के कारणा बच्चे चिड़चिड़े होते जा रहा हैं। शारीरिक रूप से कंधे झुकना, गर्दन में दर्द, सर्वाइकल और रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायतें बढ़ रही हैं। स्कूल बैग के लिए सबसे पहले एनसीईआरटी ने सर्वे कराई।
इसके बाद बैग पॉलिसी को नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया। सर्वे के अनुसार करीब 49 फीसदी स्कूलों का रिजल्ट यह सामने आया कि कक्षा 1 से 5वीं तक कक्षाओं के बच्चों के बैग का वजन 2 से 5 किलो तक है। सर्वे में यह भी सामने आया कि बैग में किन-किन चीजों का कितना-कितना भार है। टेक्स्ट बुक- 500 ग्राम से 3.5 किलोग्राम, नोट बुक्स 200 ग्राम से 2.5 किलोग्राम, लंच बॉक्स- 200 ग्राम 500 ग्राम तक, वाटर बोतल 200 एमएल से 1 लीटर तक मिली। यहां तक की खाली बैगों का वजन भी 150 से 200 ग्राम तक मिला। कक्षा 9 के बाद कक्षाओं में अलग-अलग रैफरेंस बुक्स का भी वजन बढ़ रहा है। स्कूल बैग वजन एक अहम मुद्दा है। इसके लिए राज्य सरकार और एनसीईआरटी के शिक्षा विद भी अलर्ट हैं।
जहां प्रदेश में बात करें अब कक्षा 1 से 5वीं तक के बच्चों के लिए एक ही किताब में तीन भाग हैं, हिंदी, अंग्रेजी गणित। इसलिए एक ही किताब ले जानी होती है। 3 माह बाद दूसरे पाठ्यक्रम की दूसरी किताब। जो पढ़ लिया वो चैप्टर दूसरी किताब में नहीं आएगी। वहीं बात एनसीईआरटी करें तो अभी प्री प्राइमरी क्लास में कोई भी किताब की अनिवार्यता नहीं है। वहीं कक्षा 1-2 के सिलेबस में सिर्फ 2 किताबें हैं। कक्षा 3 से 5वीं तक के लिए सिलेबस तैयार किया जा रहा है। संदीप जोशी, पाठ्यक्रम निर्माण समिति सदस्य, एनसीईआरटी स्कूल बैग का वजन स्कूल मैनेजमेंट पर निर्भर करता है। क्योंकि कई स्कूल अपने स्वयं के बिजनेस के लिए ग्रामर, नैतिक शिक्षा, मैथ्स, ड्राइंग सहित अन्य बुक्स का वजन बच्चों पर डाल रहे हैं। इसके अलावा अन्य कई तरह की बुक्स जरूरी कर रखी हैं।