करौली। करौली हिण्डौन सिटी क्षेत्र के 30 से अधिक गांवों में सिंचाई के लिए गुजरने वाली जगर बांध की नहर 15 साल से कमजोर मानसून के कारण सूखी पड़ी है। झाड़ियों में दबी नहर की सार-संभाल तक नहीं हो पा रही है। हिण्डौन और टोडाभीम क्षेत्र में सूखे की मार झेल रहे बांधों और तालाबों की हालत खराब है. जगर बांध में फिलहाल 14 फीट से कम पानी है, जबकि भराव क्षमता 30 फीट है। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2000, 2005 और 2008 में मानसून सीजन में अच्छी बारिश होने पर जगर बांध की 44 किमी लंबी नहर में पानी देखा गया था. जिससे किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध हुआ।
इसके बाद 15 वर्षों में जगर बांध का पानी नहर क्षेत्र तक नहीं पहुंच सका। मॉनसून सीजन में जगर बांध में जलजमाव की स्थिति बता रही है कि लगातार कमजोर मॉनसून के कारण यह 30 फीट तक नहीं भर सका है. 2018 से 2022 के बीच 15 जून से सितंबर तक हुई बारिश में साल 2021 में 20 फीट बारिश हुई. बता दें, जगर बांध के नहर क्षेत्र से करीब एक लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती थी. मुख्य गांव नहर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है रिजवास, विजयपुरा, चंदीला, पाली, चुरारी, धुरसी, बाई, हुक्मीखेड़ा, ढिंढोरा, धांधावली, खेड़ी, खिजूरी, चिनायता, जटनगला, शेरपुर, मिल्कीपुरा, जगर, खीप का पुरा, खरेटा सहित कई गांवों के लोग नहर से होकर गुजर रहे हैं। जगर बांध. जुड़े हुए है।
इधर, सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता उम्मेदी लाल ने बताया कि जिले के हिंडौन व जगर के पहाड़ी इलाकों में अच्छी बारिश के बाद बड़े नालों व तालाबों के माध्यम से जगर बांध में पानी की आवक जारी है. जिससे कई गांवों को सिंचाई की सुविधा मिलती है. लेकिन पिछले 10 सालों से मानसून बेहद कमजोर रहा है. ये है पांच में मानसून की स्थिति सिंचाई विभाग से संकलित आंकड़ों में वर्ष 2018 में जगर बांध 17.50 फीट भरा था। इसी तरह 2019 में मानसून सीजन में जगर बांध में मात्र 11 फीट पानी आया था. वर्ष 2020 में जगर बांध में 9.2 फीट, विशन समंद में 6.6 फीट पानी था, जबकि न्यू टेक और मोहनपुरा बांध में पानी की आवक शून्य थी। 2021 में जगर बांध में 20 फीट, विशन समंद में 8 फीट पानी था। इसी प्रकार वर्ष 2022 में जगर बांध में 14.8 का भराव हुआ।