कोटा न्यूज़: भारी बारिश के बाद कोटा में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। रविवार रात से सोमवार तक हुई बारिश के बाद मंगलवार को बारिश नहीं हुई। कहीं-कहीं बूंदाबांदी भी हुई। बुधवार की सुबह तक बारिश नहीं हुई। आकाशीय आपदा थम गई, लेकिन चंबल का पानी अभी भी विपदा जारी है। मंगलवार की दोपहर कोटा बैराज से पांच लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया तो डाउनस्ट्रीम बस्तियों में कोहराम मच गया। चंबल के तट पर बसी इन बस्तियों में पानी भर जाने लगा। बस्ती का शिवदास घाट पूरी तरह पानी में डूब गया। इधर हरिजन बस्ती, बाबा घाट में स्थिति विकट हो गई। दो मंजिला इमारत पूरी तरह जलमग्न हो गई। लोग अपना सामान लेकर फरार हो गए। जाते समय उनके पास कुछ घरेलू सामान और 3 साल पहले आई बाढ़ की यादें थीं। अब पानी कम होने के बाद लोग घर लौटने लगे हैं। गुरुवार शाम तक लोग अपने घर पहुंच गए, लेकिन फिर भी खाने-पीने के लिए शेल्टर कैंप पर निर्भर हैं। कोटा बैराज से भारी पानी हटने के बाद दो दिन में 12 से ज्यादा कॉलोनियां जलमग्न हो गईं। मंगलवार को जिन कॉलोनियों में पानी आया था, उन्हें सुबह खाली करा लिया गया। दोपहर में लोग बस्तियां खाली करते दिखे।
चंबली के तट पर इन बस्तियों का अधिक प्रभाव है: कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने से नयापुरा क्षेत्र के हरिजन बस्ती, गंडी, बाबा घाट सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. हरिजन बस्ती और बाबा घाट और गौंडी में 15 फीट तक पानी है। मंगलवार दोपहर रेस्क्यू टीम भी यहां पहुंची। लोगों को घर से निकलने को कहा गया, लेकिन ज्यादातर लोग घर से निकल गए। E लोग घरों की तीसरी मंजिल पर बैठे थे। जो जाने को तैयार नहीं था। उसे अपना सामान चोरी होने का डर सता रहा था।
लाखों खोने का डर: शहर की बात करें तो एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां जलमग्न हैं। चंबल के किनारे की बस्तियों को सबसे अधिक नुकसान होने की संभावना है क्योंकि इन बस्तियों में चंबल का पानी बढ़ जाता है और घर भी डूब जाते हैं। 2019 की बाढ़ में भी यही स्थिति थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए।
हालांकि साल 2019 में 7 लाख 9 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से ज्यादा तबाही हुई थी। जल निकासी शुरू होने के बाद नुकसान का सही आकलन किया जाएगा। इसके लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अधिकारियों को पानी घटते ही नुकसान का सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।