लम्पी वायरस से बचाने गायों को आयुर्वेदिक लड्डू खिला रहे पशुपालक
राजस्थान में गोवंश के जीवन पर लम्पी वायरस का संकट थमने का नाम नहीं ले रहा. प्रदेश के अधिकांश जिले लम्पी से प्रभावित हैं.
राजस्थान में गोवंश के जीवन पर लम्पी वायरस का संकट थमने का नाम नहीं ले रहा. प्रदेश के अधिकांश जिले लम्पी से प्रभावित हैं. केंद्र व राज्य सरकारें लगातार गौवंशो को लम्पी बीमारी से बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने का दावा कर रही हैं. इसी बीच जोधपुर में गोवर्धन मठ पुरी उड़ीसा से शंकराचार्य निश्चलानंद के सेवक वैध हेमंत पालीवाल के निर्देशन में गौवंशों में लम्पी बीमारी के उपचार के लिए अलग ही दावा किया जा हा है. आदित्यवाहिनी जोधपुर शाखा द्वारा पीयूषपाणि आयुर्वेद संस्थान के तत्वाधान में गौवंशो के लिए औषधि के रूप में आयुर्वेदिक लड्डू बनाकर शहर के विभिन्न गौशालाओं में वितरित किए जा रहे हैं.
संस्थान द्वारा यह आयुर्वेदिक औषधि के रूप में बनाए गए आयुर्वेदिक लड्डू पूर्णता नि:शुल्क वितरित किए जा रहे हैं. गौशाला और गौसेवकों की मदद से प्रतिदिन हजारों की संख्या में लड्डू गौवंश को औषधि के रूप में खिलाए जा रहे हैं. लगातार शहर की विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी इन लड्डुओं को नि:शुल्क प्राप्त कर अपने स्तर पर गौ सेवा के रूप में गायों को खिला रहे हैं. संस्थान का दावा है कि यह आयुर्वेदिक औषधि रूपी लड्डू गौवंशो में इम्यूनिटी को बुष्ट करते हैं, जिससे गायों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे लंपी वायरस जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. आयुर्वेद के जानकारों ने भी इस आयुर्वेदिक लड्डू को गौवंशो के लिए उत्तम औषधि मानते है. इस औषधि का निर्माण करने वाली संस्थाओं के रातानाडा स्थित कार्यालय से इसको निशुल्क प्राप्त भी किया जा सकता है. हालांकि न्यज18 राजस्थान लोकल इन दावों की पुष्टी नहीं करता है.
गायों को दी जा रहे हो सरूपी आयुर्वेदिक लड्डू बनाने की सामग्री में लाठियां गुड़ 30 किलोग्राम, हल्दी 10 किलोग्राम,वायविडंग 4 किलोग्राम (यह प्रयोग में लेने पर नीम के पत्ते उपयोग में लेने की आवश्यकता नहीं इसके प्रयोग से औषधि 7 दिवस तक खराब नहीं होती), गिलोय 30 किलोग्राम, लाल फिटकरी 8किलोग्राम (गर्म करके सेकने के बाद 5 किलोग्राम होनी चाहिए, बाजरे का आटा 30 किलोग्राम.
इस विधि से बनाए आयुर्वेदिक लड्डू
सबसे पहले फिटकरी को चूर्ण करके उसे कड़ाई में गर्म करके एकदम द्रव अवस्था मे होने तक सेकते रहें. फिर उसे पूरा सूखने पर वह लाल फुला फिटकरी बनेगी, फिर उसे वापिस पीस लें. यह कार्य सबसे पहले कर लें, अगर आप छोटे स्तर पर ही लड्डू बना रहे हैं, तब आप वायविंडग की जगह नीम पत्ते पानी में उबाल कर उन पत्तों को बाहर निकाल दें. फिर उसी पानी मे गुड़ मिला दें. फिर हल्दी, गिलोय, फ़िटकरी, बाजरी का आटा क्रम से मिलाकर सेकते रहे. औषधि का क्रम बताए अनुसार ही रहना चाहिए.
इनका यह कहना
पीयूषपाणि संस्थान के ऑनर तरुण पालीवाल बताते हैं कि गौवंश को लंपि से बचाने के लिए उनकी संस्थान ने यह आयुर्वेदिक लड्डू बनाए हैं. रातानाडा स्थित पीयूषपाणि संस्थान के कार्यालय से कोई भी व्यक्ति लड्डुओं को नि:शुल्क प्राप्त कर सकता है. साथ ही उनके दूरभाष नंबर 8769309004 पर संपर्क करके भी लड्डू प्राप्त करने की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
पशुपालन विभाग के अधिकारी का यह कहना
जोधपुर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ अरविंद पंवार बताते हैं कि आयुर्वेद का शास्त्रों में अपना ही एक अलग महत्व है. जिस कोरोना काल के समय आयुर्वेदिक काड़ा ने इम्युनिटी बूस्ट करके की लोगों को कोरोना से बचाया था. उसी प्रकार आयुर्वेद औषधि के रूप में बनाए गए या लड्डू गायों में इम्यूनिटी बूस्ट कर सकते हैं. अगर गौवंशों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, तो गौवंशो की मौत में कमी आ सकती है और वह लंपी जैसे रोग से जल्द स्वस्थ हो सकते हैं.