हनुमानगढ़ । विधिक माप विज्ञान अधिनियम 2009 एवं इनके अन्तर्गत बने नियमों के तहत यदि कोई व्यक्ति, फर्म, संस्था बाट/माप /तोलने के यंत्रों या मापक यंत्रों का उपयोग करता है तो उन्हे सत्यापन एवं मुद्रांकन करवाना आवश्यक है। ऐसे मापक यंत्रों का निश्चित समय अन्तराल बाद पुनः सत्यापन व मुद्रांकन करवाया जाना अनिवार्य है। जिसके अभाव में असत्यापित बाट, माप का उपयोग करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
विधिक माप विज्ञान अधिकारी श्री अमित चौधरी ने बताया कि बाट, माप, तोलने के यंत्रों या मापक यंत्रों के सत्यापन, पुनः सत्यापन हेतु विभाग द्वारा संगरिया में 15 मार्च तक शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सभी बाट, माप तोलने के यंत्रों या मापक यंत्रों के उपयोगकर्ता लाभ उठा सकते है। पिछले वर्षों के लंबित प्रकरणों में नियमानुसार निर्धारित शुल्क राशि विभागीय एप्लिकेशन (ई-तुलामान) के जरिए जमा करवाकर अपने यंत्र का सत्यापन या पुनः सत्यापन करवा सकेंगे।
असत्यापित होने पर नोहर में दो धर्मकांटो से वसूला जुर्माना
श्री चौधरी ने बताया कि नोहर में धर्मकाँटो का औचक निरीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009 एवं इसके अन्तर्गत बने नियमों के तहत सत्यापन एवं मुद्रांकन पश्चात ही मापक यंत्रों को उपयोग में लिया जा सकता है व सभी धर्मकाँटों पर सत्यापित एक टन या काँटे की अधिकतम क्षमता के दशवें हिस्से के बराबर के बाट (जो भी कम हो) रखना अनिवार्य है। नोहर में निरीक्षण दौरान दो फर्म्स ख़िलजी व महालक्ष्मी पर धर्मकाँटा सत्यापित नहीं पाया गया व नियमानुसार धर्मकाँटे पर एक टन के बाट भी नहीं मिले। अनियमितताए मिलने पर मौक़े पर ही प्रकरण दर्ज कर जुर्माना राशि राजकोष में जमा करवाई गई।
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