अलीगढ़ न्यूज़: आगामी समय में यूपी पुलिस अपराधियों को बायोलॉजिकल आईडी के आधार पर पकड़ वारदातों का खुलासा करेगी. फ्रांस देश के संग मिलकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नाफीस (नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम) पर अपराधियों के फिंगर प्रिंट, रेटिना, फेस रिकॉग्नाइजेशन की फीडिंग हो रही है. अलीगढ़ में अभी तक 1762 अपराधियों का डाटा फीड हो चुका है. टॉप-10 में आने पर एसएसपी कलानिधि नैथानी को डीजीपी द्वारा प्रशस्ति पत्र भी दिया गया है.
पुलिस लाइन में नाफीस सेंटर की स्थापना की गई है. सब इंस्पेक्टर को इसका प्रभारी बनाया गया है. वहीं, एक सीपी और एक एचपी को फीडिंग की जिम्मेदारी दी गई है. पुलिस के अनुसार कोर्ट से रिमांड बनने के बाद मुल्जिम को जेल भेजने के दौरान उसे नाफीस सेंटर पर लाया जाता है. यहां उसकी बायोलॉजिकल आईडी बनाई जाती है, जिसमें वर्तमान में फिंगरप्रिंट, फेस, फोटो, शरीर पर विशेष निशान व अपराध की जानकारी फीड की जाती है. भविष्य में रेटिना सहित अन्य बायोलॉजिकल डाटा की फीडिंग पर काम होगा. यह पूरी जानकारी एनसीआरबी और एससीआरबी के पोर्टल पर फीड हो रही है. अलीगढ़ सहित प्रदेश के अन्य जिलों के अपराधियों का डाटा भुवनेश्वर और लखनऊ स्थित सर्वर पर सेव हो रहा है. अभी यह प्रोजेक्ट ट्रायल मोड पर फ्रांस देश के साथ मिलकर लगातार इसमें तकनीकि बदलाव जरूरत के अनुसार किए जा रहे हैं.
पुलिस के अनुसार नाफीस पर संरक्षित किया जा रहा डाटा भविष्य में काफी काम आएगा. मसलन, अपराधियों का बायोलॉजिकल डाटा पुलिस के पास संरक्षित होगा. किसी भी वारदात के क्राइम सीन से पुलिस फिंगर प्रिंट, सीसीटीवी फुटेज आदि लेगी. फिंगर प्रिंट का मिलान नाफीस पोर्टल पर संरक्षित डाटा से किया जाएगा. अगर, किसी पुराने अपराधी ने वारदात की होगी, तो फिंगर प्रिंट डाटा से मिलान कर कम्प्यूटर उसका पूरा काला चिट्ठा खोलकर सामने रख देगा. इसके आधार पर पुलिस ब्लाइंड क्राइम मिस्ट्री को चंद मिनटों में सुलझाकर अपराधी तक पहुंच जाएगी.
● बायोलॉजिकल आईडी में हो रही फिंगर प्रिंट, रेटिना, फेस रिकॉग्नाइजेशन की फीडिंग●
● फिंगर प्रिंट, फुटेज आदि का डाटा से होगा मिलान, खुल जाएगा अपराधी का नाम
अलीगढ़ में 1762 अपराधियों का डाटा फीड
अलीगढ़ पुलिस ने अभी तक 1762 अपराधियों का डाटा नाफीस पोर्टल पर सेव कर लिया है. जिले में करीब 24 हजार अपराधी हैं. पुलिस जल्द ही इनका भी डाटा सेव किया जाएगा. इसके अलावा इस पोर्टल पर पासपोर्ट और आर्म्स का भी डाटा सेव किया जा रहा है, जैसे ही कोई व्यक्ति अपराध में लिप्त पाया गया, उसके आर्म्स, पासपोर्ट की जानकारी इस पोर्टल से प्राप्त कर पुलिस उन्हें फ्रिज कर देगी. इसके अलावा बार-बार सामाजिक शांति भंग करने वाले खुराफातियों की भी बायोलॉजिकल आईडी भी इस पोर्टल पर तैयार करने के निर्देश हाल में आ गए हैं.
भविष्य में अपराध को खत्म करने के लिए पुलिस महकमा लगातार तकनीक के साथ कदमताल करते हुए काम कर रहा है. नाफीस पोर्टल पर अपराधियों का डाटा सेव होने से पुलिस को वारदातों के खुलासे में सहूलियत मिलेगी. साथ ही वैज्ञानिक साक्ष्य भी मजबूत होंगे, जो उनको सजा कराने में सहायक रहेंगे.
- कलानिधि नैथानी, एसएसपी
बंदी शिनाख्त अधिनियम 2022 के तहत काम
पुलिस बंदी शिनाख्त अधिनियम 2022 के तहत इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इस पोर्टल पर जिला बदर, निर्वासित अपराधी, संदिग्ध व्यक्ति, अज्ञात व्यक्ति (जिसकी पहचान संबंधी जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही है), दोष सिद्ध, अंडर ट्रायल, गिरफ्तार मुल्जिम का डाटा सेव किया जा रहा है.