उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने शिक्षामंत्री बीडी कल्ला से किया आग्रह, जल्द स्थापित हो वेद-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र
उदयपुर। उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने उदयपुर में वेद-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला से आग्रह किया है। सोसायटी ने बताया कि राजा-महाराजाओं के काल से ही उदयपुर के संस्कृत के प्रति अनुराग रहा है। प्रकृति की गोद में बसे उदयपुर में वेदों के विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में अनुसंधान के लिए वातावरण भी उत्तम प्राप्त होगा।
उदयपुर सिटीजन सोसायटी के अध्यक्ष क्षितिज कुम्भट ने मंगलवार सुबह सर्किट हाउस में शिक्षा मंत्री से मुलाकात की। उनको बताया कि अरावली की उपत्यकाओं के बीच प्राकृतिक सम्पदा के धनी उदयपुर शहर में सौर वेधशाला, रेलवे प्रशिक्षण संस्थान, एससीईआरटी, रवीन्द्र नाथ टैगोर आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, पं. मदनमोहन मालवीय आयुर्वेद महाविद्यालय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं। वेद-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र उदयपुर की थाती को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि वेदों का विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन न केवल मेडिकल साइंस में बल्कि जीवन की विभिन्न समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा। उदयपुर में आयुर्विज्ञान व आयुर्वेद के विद्यार्थियों को भी इससे लाभ मिलेगा।
शुरू से ही उदयपुर देता रहा है संस्कृत की शिक्षा
संस्कृतविद व निम्बार्क कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पं. सुरेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि आज जब संस्कृत का पूरे विश्व में बोलबाला है, नासा ने वेदोक्त गायत्री मंत्र के महत्व को माना है। कम्प्यूटर्स में भी संस्कृत की उपयोगिता प्रतिपादित हुई है। ऐसे में संस्कृत भाषा में रचित भारतीय प्राचीन ग्रंथों वेद-पुराण-उपनिषद आदि को विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए अनुसंधान केन्द्र की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है। मेवाड़ में भी संस्कृत के प्रति आरंभ से ही अनुराग रहा है और उदयपुर में पिछोला झील किनारे चांदपोल बाहर महाराणा संस्कृत कॉलेज इसका उदाहरण रहा है। यहां पर बनारस और बिहार के विद्वान अध्ययन-अध्यापन के लिए आते थे। शिक्षा मंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में सोसायटी के वरिष्ठ सदस्य व एमपीयूएटी के पूर्व कुलपति डॉ. उमाशंकर शर्मा, समाजसेवी गणपत अग्रवाल, सोसायटी सदस्य नीलेश कारवां आदि शामिल थे।