जयपुर। राजकॉम्प में हुए टेंडरों के खेल और सरकारी आलमारी से भ्रष्टाचार के 2.31 करोड़ रुपए नकद और 1 किलो सोना मिलने की घटना से भी रुडसिको और स्वायत्त शासन निदेशालय के अफसरों ने सबक नहीं लिया है। बल्कि चहेती फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए नए रास्ते तलाशने में जुटे हैं। वह भी तब जबकि यूडी टैक्स कलेक्शन के टेंडर को लेकर शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो तक पहुंच चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की स्कीम अमरुत 2.0 के तहत नगरीय निकायों में प्रॉपर्टी टैक्स मैनेजमेंट के लिए राज्य स्तर पर किए जा रहे टेंडर को रद्द करने की तैयारी हो गई है। इसके लिए रुडसिको के महाप्रबंधक (वित्त) की ओर से टेंडर को रद्द करने की सिफारिश राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि इस टेंडर को लेकर शिकायतबाजी काफी हो चुकी है। अगली सरकार ने अगर पिछले 6 महीने के दौरान लिए गए टेंडर औऱ ठेकों संबंधी फैसलों की फाइलें खंगाली तो कई अधिकारी चपेट में आ सकते हैं। इसलिए अफसरों ने अब बचाव का दूसरा रास्ता निकाला है।
इस टेंडर की प्री-बिड के दौरान मंत्री औऱ डीएलबी निदेशक हृदेश कुमार की चहेती फर्म स्पैरो सॉफ्टटेक की ओऱ से प्री-बिड मीटिंग के दौरान दिए गए सभी सुझावों को शामिल करते हुए नए सिरे से मॉडल आऱएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी कर दी जाए। इसके बाद संबंधित नगरीय निकाय इस आऱएफपी के आधार पर स्वतंत्र रूप से यूडी टैक्स कलेक्शन के टेंडर कर लें। इससे स्पैरो सॉफ्टटेक को काम भी मिल जाएगा और मंत्री एवं बड़े अफसरों पर अंगुलियां भी नहीं उठेंगी। हालांकि खासखबर डॉट कॉम पहले ही लिख चुका है कि यूडी टैक्स का यह राज्य स्तरीय टेंडर रद्द होना तय है। इधर, रुडसिको के कर्मचारियों का कहना है कि महाप्रबंधक (वित्त) महेंद्र मोहन ने ही नगर निगम जयपुर में पदस्थापन के दौरान तमाम शिकायतों के बावजूद इसी फर्म को यूडी टैक्स कलेक्शन का काम दिलवाया था। अब तो उन्हें कार्यकारी निदेशक हृदेश कुमार का भी साथ मिला हुआ है।
बता दें कि शहरी विकास मंत्रालय ने अक्टूबर 2021 में नगरीय निकायों में सुधार (रिफॉर्म्स) के लिए ऑपरेशनल गाइड लाइन जारी की थीं। इनके तहत निकायों को स्वयं की आय बढ़ाने और लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स मैनेजमेंट भी करना था। इसके लिए स्वायत्त शासन निदेशालय स्तर पर करीब 22 निकायों के लिए सिंगल टेंडर करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। लेकिन, इसमें ऐसी फर्म को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया जिसे जयपुर नगर निगम की ओर से ब्लैकलिस्ट करने तक की चेतावनी दी हुई थी।