जमवारामगढ़: जयपुर से 25 किलोमीटर दूर वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र जमवारामगढ़ में पिछले काफी समय से निवास कर रहे टाइगर एसटी-24 पांच दिनों से वन विभाग के ट्रैप में नहीं आने से हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार पहले टाइगर का सांऊ के पास कुंडाल में पग मार्ग मिले थे। टाइगर की तलाश में जमवारामगढ़, रायसर, अजबगढ़, अचरोल और बस्सी रेंज के 100 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी इसकी सर्च में लगे हुए हैं। टाइगर के यहां आने के बाद उसके पसंदीदा इलाका रामगढ़ बांध, चूली, बावड़ी, बूज, मानोता, पापड़, रामपुरावास, झोल, रामगढ़, सांऊ, रायसर, अचरोल और जमवारामगढ़ के बीच कई किलोमीटर में फैले जंगल में टाइगर एसटी-24 लगातार ट्रेस हो रहा था। एक बार रायसर रेंज में बामनवाटी वनखंड में खरड़ के जंगल में पगमार्क मिले थे। आखिरी बार टाइगर सांऊ के पास कुडाल में पग मार्ग देखे थे। इसके बाद से उसकी लोकेशन का पता नहीं चल पा रहा है। वन विभाग ने टाइगर पर नजर रखने के लिए सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र निदेशक कार्यालय ने बड़ी संख्या में ट्रैप कैमरे लगवाए थे।
कैमरे में पानी पीते आया नजर: वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में टाइगर एसटी-24 झोल नाका में मंगला बाबा वाटर प्वॉइंट पर पानी पीते हुए नजर आया है। पानी पीकर घूमने के साथ चेहरा भी साफ दिखाई दे रहा है। एक फोटो में बाघ दहाड़ता भी नजर आ रहा है।
टेरिटरी की समस्या नही: सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र में बाघ की संख्या दो दर्जन से अधिक है। टाइगर एसटी-24 की उम्र ढाई से तीन वर्ष के बीच है। ये सरिस्का में मादा टाइगर एसटी-12 का बेटा है। शावक बड़े होने पर अपने लिए नई टेरिटरी बनाते हैं। जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की दोनों रेंज में दूसरा टाइगर नहीं होने से टेरिटरी की समस्या नहीं है।