9 महीने में 29 हजार लोगों से ठगों ने उड़ाए 60 करोड़ रुपए

Update: 2022-02-27 13:27 GMT

 तकनीकी का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर क्राइम भी बढ़ने लगे हैं.अपराधी पलक झपकते ही बैंक खातों से राशि हड़प रहे हैं तो मोबाइल और ई-मेल हैक कर लोगों को धोखा दे रहे हैं. हालात यह है कि प्रदेश में 9 महीने में ही करीब 29 हजार लोगों से 60 करोड़ की ठगी कर ली गई है. मौके पर मौजूद हुए बिना अपराध करने वाले ठगों को पकड़ना पुलिस के सामने भी बड़ी चुनौती बनी है. इससे निबटने के लिए ही प्रदेश के सभी 40 जिलों में साइबर थाने स्थापित किए जाएंगे. बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इनकी घोषणा कर दी है. पर सवाल ये है कि क्या ये साइबर थाने ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने कामयाब हो पाएंगे?

साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या एवं पीड़ितों को उनकी शिकायत दर्ज कराने में लगने वाले समय तथा पुलिस एक्शन के समय को कम करने के लिए अभय कमाण्ड सेंटर जयपुर में 155260 साइबर अपराध हेल्पलाइन शुरू की गई. अप्रैल 2021 में शुरू की गई इस हेल्पलाईन पर 31 दिसम्बर 2021 तक करीब साठ हजार शिकायतें आईं.

आंकड़ों के जरिए समझिए प्रदेश में साइबर अपराध को

- ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज - 23008

- अन्य साइबर अपराध शिकायतें दर्ज - 5828

- अपराधियों द्वारा धोखे से ली गई या चुराई गई राशि - 59.77 करोड़ रुपए.

- पीड़ित व्यक्ति को अपराध होते ही पुलिस के शीघ्र जांच तथा रकम वापसी की उम्मीद रहती है.

- पुलिस को साइबर क्राइम के अनुसंधान के लिए सशक्त किया जाना जरूरी है.

- राजस्थान पुलिस विजन-2030 में भी राज्य के सभी पुलिस जिलों में साइबर क्राइम पुलिस थाने स्थापित करने परिकल्पना की गई है.

- साइबर यूनिट के लिए 40 डीएसपी, 40 इंस्पेक्टर, 120 एसआई, 120 एएसआई, 400 कांस्टेबल, 80 ड्राइवर कांस्टेबल, 80 प्रोग्रामर, डाटा एनालेसिस्ट की जरूरत बताई गई है.

- इन पर वार्षिक वित्तीय भार 92 करोड़, 46 लाख रुपए प्रस्तावित बताया गया है.

- इन थानों के लिए 40 जीप, 40 मोटरसाइकिल की जरूरत होगी, जिन पर 3 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च होगा.

- ऑफिस उपकरणों व संसाधनों पर 5 करोड़ 33 लाख का खर्च बताया गया है.

- 880 नए पदों एवं संसाधनों के सृजन की राज्य सरकार से प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मांगी गई है.

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