कोटा: अप्रैल के आखिरी दिनों में मौसम ने पलटा नहीं खाया होता संभवतया अभी तक राज्य के कई शहरों में बिजली कटौती के आदेश हो गए होते उनमें से कोटा भी एक होता। कोटा शहर में मार्च से बिजली की डिमांड बढ़ने शुरू हो गई है जो मई के आखिर तक और बढ़ने की संभावना है लेकिन जब तक राज्य स्तर पर बिजली कटौती के आदेश जारी नहीं होंगे तब तक शहर में बिजली कटौती नहीं होगी। केईडीएल की ओर से शहर में उतनी विद्युत की आपूर्ति की जाएगी जितनी डिमांड आएगी। गौरतलब है कि केईडीएल और जयपुर डिस्काम के बीच हुए अनुबंध के अनुसार कोटा में बिजली की मांग के अनुसार जयपुर डिस्काम को केईडीएल को बिजली देनी ही होती है। अगर उसके पास नहीं है तो उसके बाद राज्य स्तर पर आदेश जारी होते है कि राज्य के कौनसे शहर में कितनी बिजली की कटौती होनी है। वर्तमान समय में कोटा शहर में जिन स्थानों पर बिजली की आपूर्ति में बाधा आ रही है उसका कारण रखरखाव यानि मेटिंनेंस ही है, कटौती नहीं।
जनवरी में ही देश में बिजली की डिमांड ने तोड़ा सालों का रिकॉर्ड
बीते कुछ सालों से बिजली की समस्या से शहर से लेकर देहात तक के लोग जूझ रहे हैं। इस साल जनवरी 2023 में बिजली की मांग 211 गीगावाट तक पहुंच गई थी, ये खपत पिछली गर्मियों की तुलना में उच्च स्तर पर है। जनवरी में ही देश में बिजली की डिमांड ने 122 साल पुराने गर्मी के बिजली खपत के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया था। इसके बाद मार्च में कुछ राहत के बाद फिर से बिजली की डिमांड में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल रही है। राजस्थान में बिजली की रिकॉर्ड डिमांड बढने तथा राज्य के बिजलीघरों की 23 में से चार इकाइयां बंद होने से 1737 मेगावाट बिजली की कमी हो गई है, वर्तमान में 5000 मेगावाट ही बिजली मिल पा रही है।
चुनावी साल को देखते हुए सरकार नहीं ले सकती कोई रिस्क
ज्ञातव्य है कि ये साल चुनावी साल है और बिजली की परेशानी सत्तारूढ दल के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसको देखते हुए राज्य सरकार रोजाना शाम को पीक आवर्स में पावर एक्सचेंज से 3 करोड़ यूनिट तक बिजली 12 रूपए प्रति यूनिट तक की दर से खरीद रही है। इससे हर रोज 20 से 30 करोड रूपए अतिरिक्त खर्च हो रहे है। दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो जनवरी, फरवरी और मार्च महीने के मुकाबले बिजली की खपत अप्रैल में दोगुनी हो गई। शहरों में एयर कंडीशनर के बढ़ते चलन के कारण शहरी क्षेत्र में खपत तेजी से बढ़ रही है। मौसम विभाग के मुताबिक कई राज्यों में बिजली की खपत का एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है। केरल में बिजली की दैनिक खपत 17 अप्रैल को 10 करोड़ 35 लाख यूनिट (एमयू) के आंकड़े को छू गई। वहीं, यूपी, बिहार और महाराष्ट्र में भी बिजली की खपत में रिकॉर्ड बढोतरी दर्ज की जा रही है।
बिजली संकट के गहराने से बिगड़ सकते हैं हालात
ऊर्जा मंत्रालय की मानें तो आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने से देश में सालाना आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 में बिजली की खपत 9.5 फीसदी बढ़कर 1,503.65 अरब यूनिट्स पर पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में 1,374 अरब यूनिट्स की खपत हुई थी। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का कहना है कि 2022-23 में एक दिन में सबसे ज्यादा बिजली की खपत 207.23 गीगावाट रही जो उसके पहले के साल में 200.53 गीगावाट थी। वहीं, विश्लेषकों का कहना है कि बिजली की खपत चालू वित्त वर्ष में ओर भी ज्यादा रह सकती है, ऊर्जा मंत्रालय का अनुमान है कि इस गर्मी में एक दिन में बिजली की खपत 229 गीगावट के स्तर को छू सकती है। मंत्रालय ने इस संबंध में पहले से ही कोल आधारित संयंत्रों को पूरी क्षमता के साथ परिचालन करने के निर्देश दिए हुए हैं।
शहर में मांग के अनुरूप ही होती है बिजली की आपूर्ति
केईडीएल के स्थानीय अधिकारियों की माने तो कम्पनी की ओर से कोटा में मांग के अनुरूप ही बिजली की आपूर्ति की जाती रही है। बीते कुछ सालों से, केवल कोरोनाकाल को छोड़कर कोटा शहर में जनवरी में औसतन लगभग 25 लाख यूनिट बिजली प्रतिदिन, फरवरी में औसतन 25 लाख यूनिट, जबकि मार्च में ये बढ़कर 30 लाख यूनिट प्रतिदिन, अप्रैल में 30 लाख 70 हजार, मई में लगभग 40 लाख 20 हजार जबकि जून में करीब 42 लाख यूनिट रोजाना बिजली की डिमांड होती है और कम्पनी की ओर से इतनी ही बिजली की आपूर्ति की जाती है।विभागीय अधिकारियों की माने तो शहर में कम्पनी की ओर से कभी बिजली की ओर से कोई कटौती नहीं होती है। अगर किसी लाइन में कोई फाल्ट आए या रखरखाव के कारण ही उस क्षेत्र में विद्युत की आपूर्ति बाधित होती है। उल्लेखनीय है कि बीते कुछ सालों में कोयला संकट के कारण राज्य के कई बड़े शहरों में कई घंटो तक की बिजली कटौती का लोगों को सामना करना पड़ा है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि जैसे ही गर्मी अपने तेवर दिखाएगी, शहर में राज्य में बिजली की डिमांड बढ़ेगी। क्योंकि अप्रैल में ही राजस्थान के कोटा समेत कई शहरों, यूपी, बिहार, महाराष्ट्र व राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा चुका है। गर्मी बढ़ने से बिजली की खपत भी बढ़ गई है।
इनका कहना है
शहर में मांग के अनुरूप ही बिजली की आपूर्ति की जाती है। कम्पनी की ओर से बिजली कटौती नहीं होती है। राज्य स्तर पर आदेश के बाद ही बिजली की कटौती होती है। शहर में बिजली की डिमांड मार्च से बढ़ना शुरू होती है जो जून तक रहती है।
-अनोमित्रो ढाली, टैक्निकल हैड, केईडीएल।