अजमेर न्यूज़: रेलवे अस्पताल में भर्ती एक मरीज की अचानक मौत को लेकर खासा हंगामा हुआ। मृतक के परिजन ने चिकित्सकों पर उपचार में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और धरने पर बैठ गए। उन्होंने शव लेने से इंकार कर दिया। करीब 5 घंटे तक हंगामा चलता रहा। वहीं अस्पताल प्रशासन ने मृतक के परिजन पर चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट व अभद्र व्यवहार करने के आरोप लगाए। रामगंज थाना पुलिस ने कड़ी मशक्कत कर परिजन को शव लेने के लिए तैयार किया। पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराकर शव परिजन के सुपुर्द कर दिया। दोनों पक्षों की ओर से रामगंज थाने में शिकायत दी गई है।
मृतक जौंसगंज, चौड़ी गली निवासी रेलवे से सेवानिवृत प्यारेलाल सांखला (65) के पुत्र नवीन ने बताया कि उनके पिताजी को पेट में दर्द की शिकायत होने पर 4 नवम्बर को रेलवे अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। लेकिन चिकित्सकों ने उपचार करने में लापरवाही बरती। जिसके चलते उनकी तबीयत दिनों-दिन खराब होती गई। नवीन ने बताया कि रेलवे अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मुकेश बागड़ी की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। मरीज को केवल ड्रिप लगाई जा रही थी। ठीक से उपचार कराने के लिए उन्होंने चिकित्सक के निवास पर जाकर सम्पर्क किया। जिसके एवज में चिकित्सक ने फीस भी ली थी। इसके बावजूद उपचार में कोताही बरती गई। परिजन ने बताया कि वे चिकित्सकों से लगातार उन्हें बड़े अस्पताल में रेफर करने की कहते रहे, लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते सोमवार सुबह अचानक ही उनका निधन हो गया। सूचना मिलने के बाद रामगंज थाना प्रभारी सत्येन्द्र सिंह नेगी, चौकी प्रभारी मनीराम वर्मा तथा आरपीएफ अधिकारी मय जाप्ता मौके पर पहुंच गए। उन्होंने परिजन को समझाकर मामला शांत करवाया।
डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ से मारपीट का आरोप: वहीं अस्पताल प्रशासन ने मृतक के परिजन पर चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ से मारपीट व अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। चिकित्सकों का आरोप था कि उनके द्वारा उपचार में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई, जबकि उनके परिजन ने बिना कुछ सुने-समझे ही चिकित्सक के साथ मारपीट की तथा वार्ड में कुर्सियां फेंकी। बीच-बचाव करने आए नर्सिंग स्टाफ के साथ भी हाथापाई की। मारपीट की खबर फैलते ही आउटडोर में मरीजों को देख रहे अन्य चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ ने भी काम का बहिष्कार कर दिया और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कक्ष के बाहर एकत्र हो गए। करीब तीन घंटे बाद उन्होंने मरीजों को देखना शुरू किया। इस दौरान मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात करने के प्रयास किए गए तो उन्होंने सक्षम स्तर पर बात करने की कहते हुए पल्ला झाड़ लिया।
5 घंटे नहीं लिया शव: मौत की सूचना मिलने के बाद अस्पताल में परिजन व आसपास के क्षेत्रवासियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ ही देर में भारी भीड़ एकत्र हो गई। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से नाराज परिजन ने शव लेने से इंकार कर दिया। साथ ही अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गई। करीब 5 घंटे की समझाइश के बाद मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजन शव लेने को तैयार हुए। इस दौरान रंजन शर्मा, महेश चौहान सहित बड़ी संख्या में परिजन मौजूद थे।
अन्य मरीज भी परेशान: अस्पताल में हंगामे के बाद भर्ती अन्य मरीजों के परिजन ने भी अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर गुबार निकाला। परिजन ने बताया कि यहां चिकित्सकों द्वारा मरीजों को ठीक से नहीं देखा जाता है तथा मांगने पर भी उपचार संबंधी किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। परिजन का आरोप है कि मोटा वेतन लेने के बावजूद उपचार के लिए चिकित्सकों के घरों पर जाकर सम्पर्क करना पड़ता है, साथ ही फीस भी देनी पड़ती है। इसके बाद ही उक्त मरीज का ठीक से उपचार शुरू हो पाता है।
इनका कहना है: मरीज को पेट दर्द की शिकायत के कारण 4 नवम्बर को भर्ती किया गया था। उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हो रहा था। परिजन द्वारा उन्हें रेफर करने की मांग की जा रही थी। इसके चलते रेफर के पेपर भी तैयार हो चुके थे। लेकिन अचानक तबीयत खराब होने के कारण मरीज की मौत हो गई। गुस्साए परिजन द्वारा चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट व अभद्र व्यवहार किया गया। इसकी शिकायत रामगंज थाने में दी गई है। मरीज की मौत किन कारणों से हुई, इसका पता रिपोर्ट आने के बाद साफ होगा।
-विवेक रावत, वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबंधक