वार्ड झेल रहा पार्षद के भाजपाई होने का दंश

Update: 2023-03-13 14:41 GMT

कोटा: पार्षद के भाजपाई होने का दंश शहर के जो वार्ड झेल रहे हैं उनमें नगर निगम उत्तर का वार्ड नम्बर 43 भी है। इस वार्ड के कुछ लोगों का कहना हैं कि हमारे वार्ड में काम भले ही कई हुए हैं लेकिन वो लगभग सभी कार्य यूआईटी के माध्यम से वार्ड पार्षद ने करवाएं हैं। निगम का तो बिल्कुल भी सहयोग नहीं मिला है। पार्षद स्वयं कहती है कि अफसोस है इस बात का कि जिस संस्था में जनता हमें चुनकर भेजा हैं उस संस्था से मैं सन्तुष्ट नहीं हूं। वार्ड में करीब 7 करोड़ के निर्माण कार्य अपने बूते पर यूआईटी के द्वारा करवाएं हैं जबकि निगम की ओर से मेरे वार्ड में विकास कार्यों के लिए सिर्फ 25 लाख का बजट स्वीकृत हुआ है।नगर निगम कोटा उत्तर के इस वार्ड में पूनम कॉलोनी, दुर्गा नगर, अंजनी नगर, यश विहार, सोगरिया ग्राम पंचायत का भाग, छोटा सोगरिया, गणपति नगर तथा प्रताप टाउनशिप आदि इलाके आते हैं। जहां लगभग 25 हजार की आगादी निवास करती हैं। यहां के लोगों का कहना हैं कि वार्ड के बड़ा होने के बावजूद निगम की ओर से पर्याप्त लेबर उपलब्ध नहीं करवाई गई है। जिससे वार्ड में कई अव्यवस्थाएं बनी हुई हैं। वार्ड के कई स्थानों पर कचरे के ढ़ेर अक्सर देखे जा सकते हैं। इतने बड़े वार्ड में केवल 3 टिपर हैं वो भी नियमित रूप से नहीं आते हैं। पूनम कॉलोनी के चारों ओर समस्याएं ही समस्याएं है। वार्ड के कई हिस्सें के लोग बोरिंग का पानी पीने को मजबूर हैं। वार्ड के कुछ लोग बताते हंै कि पार्षद ने जितना हो सकता था वार्ड में काम करवाएं है। रोड और नालियां बनवाई हैं। अभी भी काम चल रहे हैं। वार्ड की कई कॉलोनियां कृषि भूमि पर बनी हुई हैं। वार्ड में श्वानों की बहुत ज्यादा समस्या बनी हुई है। हर गली में 12-15 के झुंड में घुमते रहते हैं। कई बार बच्चों और बुजुर्गों को काट चुके हैं लेकिन निगम वाले इनको पकड़कर नहीं ले जाते हैं। वार्ड में कई स्थानों पर अवैध बाड़ें बने हुए हैं जिन्हे हटाया नहीं जा रहा है। वार्ड के कई हिस्सों में सफाई व्यवस्था ठीक नहीं हैं। सड़कों और नालियों में कचरा पड़ा मिल जाएगा। नालियों के जाम होने के बाद पानी सड़कों पर फैलता है और कीचड़ घरों तक जाता है।

वार्ड के कुछ लोग बताते हैं कि पार्षद भले ही भाजपा की है लेकिन निगम और जिला प्रशासन को लोगों को हर हाल में मूलभूत सुविधाएं तो उपलब्ध करवानी चाहिए। गांवों जैसे हालात बने हुए है। जो काम निगम की ओर से होने चाहिए थे उनमें से कुछ भी नहीं हुए हैं। लोग रोडलाइट तक के लिए परेशान हो रहे हैं। वार्ड बड़ा है और टिपर कचरा लेने नहीं आते तो लोग या तो सड़कों पर कचरा डाल जाते हैं या नहरों में फैंक देते हैं। जिससे पानी भी प्रदूषित हो रहा है लेकिन कोई ध्यान ही नहीं दे रहा। सीवरेज के काम हुए वो भी बेकार। कही चैम्बर सड़क से ऊंचे है तो कही गड्ढें में। कई स्थानों पर तो सीवरेज के काम आधे अधूरे हुए हैं।वहीं वार्ड पार्षद का कहना है कि निगम की ओर से मेरे वार्ड के साथ भेदभाव किया जा रहा हैं लेकिन मैने वार्ड के किसी भी नागरिक के साथ कभी भेदभाव नहीं किया है। मेरे से जितना हो सका है मैने काम करवाने का प्रयास किया है। लोगों की समस्याओं को ध्यान से सुनकर उनके समाधान का प्रयास किया है लेकिन निगम प्रशासन अगर मेरी सुने ही नहीं तो इसका कोई क्या कर सकता हैं। मैं खुद अपने वार्ड के विकास कार्यों के लिए उच्च जनप्रतिनिधियों से मिली हंू और इसी का परिणाम हैं कि यूआईटी की ओर से इतने कार्य करवाएं गए हैं।

इनका कहना है:

वार्ड में लगभग 5 करोड़ रूपए के सीसी रोड के कार्य हुए हैं। इनके अलावा डामरीकरण भी हुआ है। वार्ड में सीवरेज का जो भी काम हुआ है वो पूरा काम बेकार हुआ है। लाइनें चौक पड़ी हुई हंै। चैंबर उखड़े पड़े हैं। हर अधिकारी तक शिकायत की है लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। ढ़ाई सालों में निगम की ओर से केवल 25 लाख के काम स्वीकृत हुए हैं जिनका भी अभी काम शुरू नहीं हुआ। स्मार्ट सिटी के तहत 50 लाख रूपए के इंटरलाकिंग के काम हुए हैं। वार्ड में बिजली की व्यवस्था ठीक नहीं हैं।

-संतोष बैरवा, वार्ड पार्षद।

नगर निगम की ओर से वार्ड कोई काम नहीं करवाएं गए हंै। साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। सड़कों पर कचरा फैला रहता है। रोड तो नये बन गए हैं लेकिन सफाई भी तो होनी चाहिए। पीने के पानी की समस्या है। रात को कई गलियों में अंधेरा पसरा रहता है।

-राजेन्द्र कुमार, वार्डवासी।

पीने के पानी की समस्या को लेकर कई बार प्रदर्शन किया है लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। वार्ड में श्वानों और मवेशियों की भारी समस्या बनी हुई है। कई स्थानों पर रोड लाइट या तो है नहीं या जलती नहीं।

-रविन्द्र कुमार शर्मा, वार्डवासी। 

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