राजस्थान के रेगिस्तान की इन पहाड़ियों का नजारा माउंट आबू की वादियों से कम नहीं है
राजस्थान: बाड़मेर रेतीली धरा पर हरे भरे गार्डन की कल्पना करना और वह भी सैकड़ो बीघा जमीन पर किसी आश्चर्य से कम नहीं है, लेकिन यह सच हुआ है भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर में. रेतीले बाड़मेर में राजस्थान सरकार ने जूना गांव में लव कुश वाटिका बनाई है जिसे देखने आने वालों की इन दिनों कतार लगी हुई है. बाड़मेर शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित है 900 साल पुराना जूना और यहां की पहाड़ियों में 676 फीट की ऊंचाई पर जूना किला बना हुआ है. यहां चारों तरफ पहाड़िया है और बीच में अब वन विभाग ने इको टूरिज्म के लिए पार्क विकसित करवाया है. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यहां पर तालाब, व्यूप्वाइंट, पार्किंग स्टैंड, रेस्ट एरिया, वॉच टावर का निर्माण करवाया गया है. यहां का नजारा माउंट आबू की वादियों से कम नहीं है. रेगिस्तान में चारो तरफ फैली हरीतिमा काफी सुकून दे रही है.
आज भी मौजूद है 11वीं और 12वीं शताब्दी के भवनों के अवशेष
बाड़मेर जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक जूना में इसे विकसित किया गया है. जूना वह जगह है जहां 11वीं और 12वीं शताब्दी के भवनों के अवशेष आज भी मौजूद है. चारों तरफ से हरी-भरी पहाड़ियां और बीच में टूरिज्म पॉइंट लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है. वन विभाग ने 15 हेक्टेयर में प्राचीन जल स्रोत, किले की दीवारों की भी मरम्मत करवाई है. टूरिज्म के लिए यहां रेस्ट रूम और फोटो पॉइंट भी हैं. यहां पर जूना का ऐतिहासिक मंदिर भी हैं, ऐसे में यहां टूरिज्म के लिए लोगों की आवक भी शुरू हो गई है.
रेगिस्तान में हरियाली ही हरियाली
कभी राजा बाहड़ की राजधानी रह चुकी इस जमीन पर सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट लव कुश गार्डन धरातल पर उतरा है. बाड़मेर के वन विभाग और जिला प्रशासन ने यहां बेहतरीन काम किया है. वन विभाग के उपवन सरंक्षक संजय प्रकाश भादू बताते है कि 2 करोड़ की लागत से जूना की पहाड़ियों के बीच इको टूरिज्म के लिए वॉच टॉवर, एनीकेट, व्यू पॉइंट, फ़ोटो पॉइंट विकसित किए गए है जिससे इसकी ओर पर्यटकों का रुख बढ़ेगा. सबसे खास बात यह है कि मानसून में यहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है जोकि रेगिस्तान में सुखद तस्वीर है.