आगरा में आज भी रखा जाता है मुगलकालीन फूलों का ताजिया, अजमेर से मंगाए जाते हैं गुलाब के फूल

अजमेर से मंगाए जाते हैं गुलाब के फूल

Update: 2022-08-05 10:13 GMT

आगरा. आज यानी 5 अगस्त 2022 को इस्लामी नए साल के पहले महीने मुहर्रम की 6 तारीख है. मुहर्रम को लेकर अजादारों ने तैयारियां कर ली हैं. शिया हजरात के इमामबाड़ों में मजलिसों का दौर शुरू हो गया है तो चौकियों और इमामबाड़ों में ताजियों को रखने की तैयारी की जा रही है. जैसे ही मुहर्रम की सात तारीख हो जाएगी तो ताजियों को रख दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश के आगरा में करीब दो हजार से ज्यादा ताजिये रखे जाते हैं, मगर इनमें सबसे एतिहासिक पाए चौकी पर रखा जाने वाला फूलों का ताजिया है. ये ताजिया मुगलकाल से ही रखा जा रहा है, इसके लिए गुलाब के फूलों को अजमेर शरीफ से मंगाया जाता है. इसकी एतिहासिकता क्या है, क्यों इस पर सबसे ज्यादा अकीदतमंद हाजिरी लगाने के लिए आते हैं, आगरा में और कौन-कौनसे ताजिये हैं, जिनकी बनावट दूसरों से अलग है...इन सब बातों को जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ें...

323 साल से लगातार रखा जा रहा ताजिया
मुहर्रम की 6 तारीख हो गई है और सात तारीख को ताजियों को चौकी और इमामबाड़ों में रख दिया जाएगा. शहर में करीब दो हजार ताजिये रखे जाएंगे लेकिन पुराने शहर के पाय चौकी, कटरा दबकैय्यान इमामबाड़े में रखे जाने वाला फूलों का ताजिया करीब 323 साल से रखा जा रहा है. एतिहासिक ताजिये को फूलों के ताजिये रखने वाले एतिहासिक फूलों का ताजिया कमेटी के अध्यक्ष हाजी शाहिद हुसैन ने बताया कि मुगलकाल में इसकी परंपरा शुरू हुई. आज हमारी दसवीं पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है. पूरे शहर में इसी ताजिये को जुलूस के लिए सबसे पहले उठाया जाता है. इस ताजिये के लिए फूलों को अजमेर शरीफ से लाया जाता है. ये परंपरा मुकलकाल से ही चली आ रही है, जिसे आज भी चलाया जा रहा है. मोहर्रम की सात से 10 तारीख तक ताजिए पर करीब 700 किलो तक फूल चढ़ा दिए जाते हैं. अजमेर के फूलों के अलावा जायरीन और अकीदतमंद मन्नत मांगते हुए फूल चढ़ाते हैं. ये सिलसिलए मुहर्रम की दस तारीख तक चलता है.
अजमेर से ही मंगाए जाते हैं फूल
भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष समी आगाई ने बताया कि आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर के वक्त से ही इस ताजिये को रखा जाता है. इसलिए इसे एतिहासिक कहा जाता है. आगरा में सबसे पुराना ताजिया कहा जाता है. अजमेर से फूल इसलिए मंगाए जाते हैं क्योंकि वहां के फूलों की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है. बड़ा फूल होता है.
दाल, घास और रुई से बने ताजिये भी रखे जाते हैं...
समाजसेवी सैयद इरफान सलीम ने बताया कि घास और रुई से बनाए जाने वाला ताजिया भी तैयार हो गए हैं. फूलों के ताजियों के अलावा इनमें दाल, रुई और घास से बनाया जाने वाले ताजिये पर भी अकीदतमंद बड़ी तादात में हाजिरी लगाने क लिए आते हैं. घास का ताजिया सिरकी मंडी में, रुई का मंटोला में तो दाल का ताजिया हास्पिटल रोड पर कंमू टोला में रखा जाता है.
कारीगरों की भी कई पीढ़ियां बना रहीं फूलों का ताजिया
कारीगर यासीन ने बताया कि हमारी कई पीढ़ियों से इस ताजिये को बनाया जा रहा है. इसे हर हाल में मुहर्रम की सात तारीख तक तैयार कर दिया जाता है. सात की शाम को इमामबाड़ा कटरा दबैकयान में रखा जाता है.


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