Alwar अस्पताल में 80 शिशुओं की जिम्मेदारी केवल एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे

Update: 2024-06-08 17:21 GMT
Alwar. अलवर। अलवर चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार के सरकार लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। हालत यह है कि जिला मुख्यालय पर राजकीय गीतानंद शिशु चिकित्सालय में रात के वक्त 80 शिशुओं की देखभाल के लिए एक ही नर्सिंगकर्मी की ड्यूटी लगा रखी है। ऐसे में इमरजेंसी होने पर परेशानी खड़ी हो सकती है। अस्पताल ओपीडी में इन दिनों करीब 450 मरीज हर दिन उपचार के लिए आ रहे हैं। करीब 40 से 50 मरीज भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में बच्चा वार्ड के कुल 40 बेड पर करीब 70 से 80 मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। शिशुओं की देखरेख के लिए भी यहां पर्याप्त स्टाफ नहीं है। इसके कारण रात्रि को केवल एक ही नर्सिंगकर्मी की ड्यूटी रहती है। 40 बेड का बच्चा वार्ड अलग-अलग तीन छोटे हॉल में संचालित हो रहा है।
इसके प्रत्येक हॉल में करीब 20 बेड लगे हैं। इन तीनों वार्डों में भर्ती शिशुओं की देखरेख के लिए एक ही नर्सिंगकर्मी उपलब्ध होने से परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है। जबकि ट्रेनिंग सेंटर सहित कई वार्डों में जरूरत से अधिक स्टाफ कार्य कर रहा है। आंकड़ों के अनुसार मई में शिशु अस्पताल की ओपीडी में करीब 15 हजार मरीज इलाज के लिए आए। इसके अलावा करीब 1800 मरीज भर्ती हुए। इसमें पीलिया, लिवर में इंफेक्शन, उल्टी-दस्त व बुखार के मरीज शामिल हैं। कुछ मरीज थैलेसीमिया व हीमोफीलिया के भी भर्ती हो रहे हैं, लेकिन वार्ड में पर्याप्त जगह के अभाव में एक बेड पर 2 से 3 शिशुओं को भर्ती किया जा रहा है। जबकि छोटे बच्चे संक्रमण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होने से संक्रमण फैलने का भी खतरा बना रहता है।अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के हालात बहुत ही ज्यादा खराब हैं। यहां भीषण गर्मी में एक बेड पर 2 से 3 मरीज भर्ती करने के कारण कई बार शिशुओं की तबीयत और भी अधिक खराब हो जाती है। यही नहीं एक बेड पर 2 या 3 शिशु भर्ती होने पर परिजनों को रात में जमीन पर बैठकर बच्चों का ध्यान रखना पड़ता है। वार्ड में स्टाफ की कमी के कारण कई बार रात्रि के समय शिशु की तबीयत खराब होने पर उन्हें परेशान होना पड़ता है।
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