अलवर। अलवर सरकारी सिस्टम की ढिलाई देखिए...दो मासूम बहनों की अस्मत लूट ली गई। दरिंदे कई माह तक उनके साथ दरिंदगी करते रहे और दोनों को गर्भवती कर दिया। अब पीड़िताएं इस गर्भ को कोख में लिए घूम रही हैं। पुलिस और बाल कल्याण समिति की सुस्त जांच एफआइआर के 25 दिन बाद भी पीड़िताओं के गर्भपात को लेकर कोई निर्णय करा सकी है। ऐसे में कोख में पल रहा अवैध गर्भ पल-पल पीड़िताओं की दरिंदगी के दर्द को कुरेद रहा है और उन्हें शर्मसार कर रहा है।
किशनगढ़बास का रहने वाला एक मजदूर परिवार अलवर शहर में एक फार्म हाउस पर रहता है, जो कि यहां कृषि कार्य करता है। यहीं पर अकबरपुर के पलखड़ी निवासी सफी खान और कैमाला निवासी सुभान खां भी काम करते थे। सफी खान और सुभान खान ने मिलकर पहले मजदूर परिवार की 15 वर्षीय बड़ी बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसकी अश्लील वीडियो बनाई। फिर वीडियो वायरल करने और परिवार को जान से मारने की धमकी देते हुए एक साल तक बलात्कार करते रहे। इसी बीच आरोपी सफी खान ने उक्त परिवार की 12 वर्षीय छोटी बेटी को अपनी हवस का शिकार बना डाला। घटना का पता चलने पर पीड़ित परिवार ने 28 जुलाई को आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। पुलिस की ओर से कराए गए मेडिकल में दोनों बालिकाओं का गर्भवती होना पाया गया।पहले ढिलाई, अब तकनीकी अड़चनें : बलात्कार पीड़िता बड़ी बालिका की कोख में फिलहाल करीब 28 सप्ताह का गर्भ है। वहीं, छोटी बालिका को भी कई सप्ताह की गर्भवती होना बताया जा रहा है। नियमानुसार बाल कल्याण समिति को 24 माह के गर्भ के सम्बन्ध में निर्णय लेने का अधिकार है। एफआइआर दर्ज होने के बाद गर्भपात की प्रक्रिया में ढिलाई बरती गई। यदि उसी दौरान तत्परता से कार्रवाई की जाती तो शायद बाल कल्याण समिति गर्भपात को लेकर निर्णय कर सकती थी, लेकिन अब बाल कल्याण समिति के सामने तकनीकी अड़चनें आ रही हैं। बलात्कार पीड़िता नाबालिग बहनों की सोनोग्राफी रिपोर्ट पुलिस से मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद गर्भपात के सम्बन्ध में निर्णय किया जाएगा। पीड़िताओं के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय किया जाएगा।