बीकानेर। बीकानेर तालाब, बावड़ी और कुए हमारे पारंपरिक जल स्तोत्र है। इनका हमारे जीवन में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। तालाब और बावड़ी शुद्ध रुप से वर्षा जल संचय के स्तोत्र है। तालाबों में भरपूर मात्रा में वर्षा का जल पहुंचे इसके लिए इनकी आगोर का सुरक्षित रहना आवश्यक है। यह देखने में आ रहा है कि तालाबों की आगोर सिकुड रही है। आगोर भूमि पर अतिक्रमण बढ़ रहे है। यह भविष्य के लिए सही नहीं है।
वर्षा जल का संचय जरुरी है। अधिक दोहन के कारण भूमिगत जल का स्तर भी धीरे-धीरे घट रहा है । तालाबों का सुरक्षित और संरक्षित रहना आवश्यक है। तालाब तभी सुरक्षित व संरक्षित रह सकते है, जब इनकी आगोर सुरक्षित रहे। इसके लिए सामुहिक प्रयासों की जरुरत है। महज कुछ लोग तालाब व आगोर को बचाने में जुटे है। आमजन तालाबों की आगोर को सुरक्षित रखने के लिए आगे आए। शासन-प्रशसन अपना दायित्व निभाए और आगोर को बचाने के लिए न्यायालयों की ओर से जारी किए गए आदेशों और नियमों की पालना सुनिश्चित करवाए।
तालाब और आगोर के महत्व को न केवल हमें समझना होगा बल्कि बच्चों और युवाओं को भी समझाना होगा। आने वाली पीढ़ी के हित को सुरक्षित रखने के लिए तालाब व आगोर को बचाना होगा, अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती है। भावी पीढ़ी को भारी नुकसान हो सकता है। वे लोग जो सक्षम और जिम्मेदार है, वे आगे आए और तालाब-आगोर को बचाने में अपनी रचनात्मक भूमिकाए निभाए। आगोर भूमि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरुरी है। इस भूमि पर विभिन्न प्रकार के पेड-पौधे, जड़ी बुटिया, स्थानीय वनस्पति पनपती है। पशु पक्षियों का संरक्षण भी इस भूमि के माध्यम से होता है। अगर आगोर ही नहीं रहेगी तो पर्यावरण और पशु-पक्षियों को भी नुकसान होगा।