पीएचडी वालों का सिलेबस 10वीं पास किसान तैयार करेगा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कॉलेजों में जैविक शिक्षा के लिए सिलेबस तैयार करने के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसानों की एक कमेटी बनाई है जिसमें झालावाड़ के पदमश्री सम्मानित किसान हुकमचंद पाटीदार का भी नाम शामिल किया गया है.

Update: 2022-01-20 04:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान (Rajasthan) को झालावाड़ जिले (jhalawar) के जूनाखेड़ा गांव के एक किसान इन दिनों मीडिया में छाए हुए हैं. हुकुमचंद पाटीदार (farmer hukumchand patidar) नाम के यह किसान अपने कृषि ज्ञान की बदौलत राज्य भर में वाहवाही बटोर रहे हैं. हुकुमचंद देश-प्रदेश की जैविक खेती (Organic farming) में काफी समय से अपना योगदान दे रहे हैं. वहीं अब पाटीदार की जैविक खेती तकनीक से अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) भी प्रभावित हो गया है. दरअसल देश के तमाम कृषि विश्वविद्यालय (agricultural universities) और कृषि डिग्री कॉलेजों में जैविक खेती के लिए अलग से सिलेबस तैयार किया जाएगा जो एग्रीकल्चर स्टूडेंट के भविष्य को संवारने में मदद करेगा.

बता दें कि इस सिलेबस को तैयार करने में किसान हुकुमचंद पाटीदार का अहम योगदान रहेगा. पाटीदार के ज्ञान से अब राज्य में भविष्य के नए कृषि वैज्ञानिक (Agricultural Scientist) तैयार होंगे. हुकुमचंद को साल 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पदमश्री से भी नवाजा है.
जैविक कृषि शिक्षा सिलेबस कमेटी में हुकमचंद पाटीदार का नाम
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से कॉलेजों में जैविक सिलेबस के लिए कृषि विशेषज्ञों और जैविक कृषि पद्धति अपना रहे कुछ किसानों की एक कमेटी तैयार की गई है. इस कमेटी में झालावाड़ के पदमश्री से सम्मानित किसान हुकमचंद पाटीदार का भी नाम शामिल किया है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से इंफाल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ . अनुपम मिश्रा ने 14 सदस्यों की यह कमेटी बनाई है जिसे अगले 2 महीने में प्राकृतिक खेती से संबंधित जैविक कृषि शिक्षा का सिलेबस तैयार कर कमेटी को अपनी रिपोर्ट देनी है. वहीं इस कमेटी में प्रदेश के जोधपुर से किसान रतनलाल डागा को भी जगह मिली है.
परंपरागत खेती को मिलेगी नई ऊर्जा
बता दें कि नया जैविक खेती का सिलेबस बनने के बाद परपंपरागत तरीके से खेती को बढ़ावा मिलेगा, वहीं खेतों में पेस्टिसाइड के इस्तेमाल में कमी आएगी. देश के कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि महाविद्यालयों के बीएससी, एमएससी, पीएचडी पाठ्यक्रम में जैविक खेती के बारे में पढ़ाया जाएगा जिससे देश में जैविक खेती को नए आयाम मिलेंगे.
गौरतलब है कि फिलहाल कॉलेजों में जैविक खेती पर चर्चा नहीं होने के चलते संस्थानों में कृषि वैज्ञानिक खेतों में रसायनिक दवाइयों और खाद का उपयोग करने के बारे में जानकारी देते थे. वहीं केमिकल का इस्तेमाल करने से भूमि में जैविक कार्बन कम हो गया है. ऐसे में अब जैविक खेती को सिलेबस में शामिल किए जाने के बाद किसानों की वैज्ञानिक तरीके से परंपरागत खेती के बारे में समझ बढ़ेगी.
10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ शुरू कर दी थी खेती
झालावाड़ के हुकुमचंद पाटीदार जैविक खेती का सफर साल 2004 में शुरू हुआ जिन्होंने 10वीं की पढ़ाई छोड़ खेत में काम करना शुरू कर दिया. हालांकि शुरूआती कुछ दिनों में उन्हें खेती से कम उत्पादन मिला लेकिन वह लगे रहे. पाटीदार लगातार जैविक खेती का प्रचार-प्रसार करते रहे. नतीजतन आज दुनिया भर के 7 देशों में जैविक उत्पादों की मांग है जिनकी लोग अच्छी कीमत भी दे रहे हैं. बता दें कि पाटीदार अपने काम को लेकर अभिनेता आमिर खान के शो 'सत्यमेव जयते' का भी हिस्सा बन चुके हैं.


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