एमबीएम को मिलने वाले कैंपस, स्टाफ और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों पर लगी मुहर

अपनी स्थापना के 70 साल बाद इंजीनियरिंग कॉलेज से विश्वविद्यालय बने मंगनीराम बांगड़ मैमोरियल (एमबीएम) और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) के बीच आज विधिवत बंटवारा हो गया.

Update: 2021-11-18 15:31 GMT

जनता से रिश्ता। अपनी स्थापना के 70 साल बाद इंजीनियरिंग कॉलेज से विश्वविद्यालय बने मंगनीराम बांगड़ मैमोरियल (एमबीएम) और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) के बीच आज विधिवत बंटवारा हो गया. जेएनवीयू (JNVU) की सिंडीकेट बैठक में आज एमबीएम को मिलने वाले कैंपस, स्टाफ और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों पर मुहर लग गई.

जेएनवीयू के कुलपति प्रो डॉ पीसी त्रिवेदी ने बताया कि सिंडीकेट बैठक में दो महत्वपूर्ण एजेंडे थे. जिसमें इंजीनियरिंग कॉलेज से विश्वविद्यालय बने एमबीएम यूनिवर्सिटी के लिए संसाधान देने थे. इस पर बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय हो गया. वर्तमान एमबीएम परिसर में ही विश्वविद्यालय चलेगा. लेकिन इसी परिसर में जेएनवीयू के कुछ खंड व विभाग संचालित हैं, वे जब तक सरकार द्वारा अन्य व्यवस्था नहीं हो जाती, वहीं पर संचालित होंगे. इसके अलावा एमबीएम में जो शैक्षणिक स्टाफ कार्यरत हैं, वे जेएनवीयू से हस्तांतरित होंगे. गैर-शैक्षणिक स्टाफ भी इसी तरह से अलग होगा. गैर-शैक्षणिक स्टाफ की कमी होने से जेएनवीयू कुछ स्टाफ एमबीएम को डेपुटेशन पर देगा. इनका वेतन एमबीएम देगा.
डॉ त्रिवेदी ने बताया कि इसी तरह से एमबीएम विश्वविद्यालय के हिस्से के वित्तीय अधिकार सौंपे जाएंगे. एमबीएम के वर्तमान परिसर व हॉस्टल मिलाकर करीब सौ एकड़ जमीन मिलेगी. जिस पर इंजीनियरिंग के अलग—अलग भवन बने हुए हैं. गौरतलब है कि एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकार ने इस वर्ष विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है. लेकिन स्थायी रूप से संसाधन नहीं होने से काम प्रभावित हो रहा था. इसको लेकर सरकार के निर्देश पर यह बंटवारा हुआ है.


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