राजसमंद। युग प्रधान आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी कीर्तिलता की विशेष प्रेरणा से आज आमेट स्थित तेरापंथ भवन में आध्यात्मिक जप का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें तेरापंथ सभा, महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल सभी ने भाग लिया। अष्टमी के दिन ओम की आकृति उपसर्ग कर सामूहिक मंत्रोच्चार किया गया। नवमी को स्वास्तिक बनाकर भक्तामर स्त्रोत का सामूहिक जाप किया गया। दशमी पर तेरापंथ युवक परिषद ने पिरामिड के आकार में जैन धर्म के महामंत्र नमस्कार महामंत्र का जाप किया। हर दिन अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
साध्वी कीर्तिलता उपसर्ग स्तोत्र का महत्व बताते हुए कहा कि यह स्त्रोत बाधाओं को दूर करने वाला चमत्कारी स्त्रोत है। जिसकी रचना जैन धर्म के प्रभावक आचार्य भद्रबाहु स्वामी ने एक विशेष परिस्थिति में की थी। साध्वी ने कहा कि भक्तांबर स्रोत भी जैन धर्म का ऐसा प्रभावशाली भजन बन गया है। मानतुंग आचार्य ने संकटकाल में इसकी रचना करके जैन धर्म को गौरवान्वित किया। नमस्कार महामंत्र की महिमा अपरंपार है जो भी व्यक्ति एकाग्रता और रंग के साथ इस मंत्र का जाप करता है। उनका कार्य सिद्ध हो चुका है। तेली की तपस्या की प्रेरणा देतीं साध्वी। कहा कि तेल अनुष्ठान एक जुलाई से शुरू हो रहा है और आचार्य महाश्रमण के 50वें दीक्षा दिवस के अवसर पर 50 चतुर प्रहरी पौधे बनाने की विशेष प्रेरणा दी। कार्यक्रम में जैन धर्म के श्रद्धालु एवं अनुयायी उपस्थित थे।